आज है विश्वकर्मा जयंती, सच्चे मन से करे ये काम

कहते है कि पिता वास्तुदेव से वास्तुकला विश्वकर्मा को विरासत में मिली थी, इस वजह से आगे चलकर विश्वकर्मा भी वास्तुकला के महान आचार्य बन गए। आज प्रातःकाल स्नान-दान करने के बाद स्वच्छ अथवा नये कपड़े पहनकर भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करना चाहिए।

 

आज के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ पूरे विधि-विधान से करते हैं। जी दरअसल कहा जाता है यह पूजा और यज्ञ विवाहित दम्पति को ही करना चाहिए।

जी दरअसल जिस स्थान पर पूजा एवं यज्ञाहुति होनी है, उसके ठीक सामने जातक को पत्नी के साथ बैठना चाहिए। उसके बाद श्रीहरि का ध्यान करें और विष्णु जी एवं विश्वकर्मा जी की प्रतिमा पर रोली का तिलक लगाने के बाद अक्षत एवं पुष्प अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करते हुए भगवान को जल अर्पित करें।

आज भगवान विश्वकर्मा जयंती है। आप सभी को बता दें कि भगवान विश्वकर्मा ने ही हमारे देवी-देवताओं के लिए दिव्य अस्त्र-शस्त्र, भवन, और मंदिरों आदि का निर्माण किया था।

ऐसा कहते हैं कि भगवान ब्रह्मा जब सृष्टि की रचना कर रहे थे, तो विश्वकर्मा जी ने उनकी सहायता की थी। अब ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं आज कैसे करें पूजन।

विष्णु पुराण के मुताबिक धर्म की वस्तु नामक स्त्री के गर्भ से वास्तुदेव पैदा हुए थे। जी दरअसल वास्तुदेव की शादी अंगिरसी से हुई और उनकी पत्नी की कोख से भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ। भगवान विश्वकर्मा हिंदू धर्म में शिल्पशास्त्र के प्रवर्तक है।