आज है उत्पन्ना एकादशी, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

उत्पन्ना एकादशी व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। वैसे तो हर माह दो एकादशी आती है और सभी एकादशियों का महत्व अलग होता है। लेकिन मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को बेहद पवित्र माना गया है।

इसे ही उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। यह भी मान्यता है कि इस दिन माता एकादशी ने राक्षस मुर का वध किया था। उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि एकादशी देवी का जन्म भगवान श्री हरि विष्णु से हुआ था। मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को एकादशी माता प्रकट हुई, जिस कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा।

30 नवंबर, उत्पन्ना एकादशी-
उत्पन्ना एकादशी प्रारम्भ – 04:13 ए एम, नवम्बर 30
उत्पन्ना एकादशी समाप्त – 02:13 ए एम, दिसम्बर 01
1 दिसम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय – 07:34 ए एम से 09:02 ए एम
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – 07:34 ए एम

जानें क्या है व्रत का महत्व
एकादशी व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। इस दिन उपवास करने से मन निर्मल और शरीर स्वस्थ होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति आती है। इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्री हरि विष्णु के परम धाम का वास प्राप्त होता है। संतान प्राप्ति और आयोग्य रहने के लिए भी इसे किया जाता है।

एकादशी पूजा- विधि-
एकादशी के दिन ब्रह्मवेला में भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है।  इस व्रत में दान करने से कई लाख गुना वृद्धि फल की प्राप्ति होती है। उत्पन्ना एकादशी पर धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन तथा रात में दीपदान करना चाहिए।