आज है इंदिरा एकादशी, ऐसे करें व्रत

इंदिरा एकादशी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ता है. इस दिन व्रत रखने से कहा जाता है कि सात पीढ़ियों तक के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पितृपक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी के नियम बेहद ही कड़े हैं.

 

अगर इस एकादशी में नियमों के साथ अगर खिलवाड़ होता है तो इसका पुण्य नहीं मिलता है. इंदिरा एकादशी इस बार 2 अक्टूबर 2021 को रखा जाएगा. जो भी लोग इस व्रत को करते हैं वो पूर्वजों को तो मोक्ष दिलाते ही है, साथ ही वो अपने लिए बैंकुठ का रास्ता पक्का करते हैं.

इंदिरा एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है. दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन जल नहीं ग्रहण करना होता है. अगले दिन व्रत करना होता है. इस दिन व्रती या फिर जिसने नहीं किया उन्हें भी चावल नहीं खाने चाहिए. व्रती को पूरे समय व्रत करना होता है. हालांकि वो जल फल आहार में ले सकते हैं. कुछ लोग इसे निर्जला भी रखते हैं. इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद पूजन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद किया जाना चाहिए.

एकादशी तिथि 1 अक्टूबर दिन शुक्रवार को रात 11.03 बजे से शुरू होगी. वहीं इसका समापन 2 अक्टूबर शनिवार रात 11.10 बजे होगी. उदयाति​थि की वजह से इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा.

2 अक्टूबर को घर में पूजा-पाठ करें दोपहर में तर्पण करें. यू तो तर्पण नदी के किनारे करने का महत्व है. लेकिन नदी पास नहीं तो घर की छत या फिर जलाशय में भी कर सकते हैं. याद रखें कि दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद कुछ नहीं खाना है.

एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें स्नान करने के बाद श्राद्ध विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद गाय, कौवे कुत्ते को भी भोजन कराएं. व्रत के अगले दिन द्वादशी को भी पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं दान-दक्षिणा दें. यह व्रत सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि पूर्वजों के लिए भी किया जाता है. इसलिए इस व्रत को प्रसन्नचित मन से करें.