आज है गोविंद द्वादशी, जाने पूजा-अर्चना करने का विधान

पूजा के लिए (दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा) मिलाकर पंचामृत से भगवान को भोग लगाएं।  द्वादशी कथा का वाचन करना चाहिए। तत्पश्चात लक्ष्मी देवी एवं अन्य देवों की स्तुति-आरती की जाती है।

पूजन के बाद चरणामृत एवं प्रसाद सभी को बांटें।  ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा देनी चाहिए। तत्पश्चात खुद भोजन करें। इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण करने का भी विधान है।

यह व्रत पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करना चाहिए। इसकी पूजा एकादशी के उपवास की भांति ही होती है। यह व्रत बीमारियों को दूर करता है। गुरुवार को इस सरल रीति से करें गोविंद द्वादशी पर पूजन, जानें खास बातें-

 गोविंद द्वादशी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा करनी चाहिए।  इस पूजा में मौली, रोली, कुंमकुंम, केले के पत्ते, फल, पंचामृत, तिल, सुपारी, पान एवं दूर्वा आदि रखना चाहिए।

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को गोविंद द्वादशी व्रत मनाया जाता है। वर्ष 2021 में यह व्रत 25 मार्च को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान गोविंद की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस व्रत को रखने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

धर्मग्रंथों के अनुसार शुक्ल पक्ष की द्वादशी को गोविंद द्वादशी मनाई जाती है। यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति होकर समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है। यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला होता है।