आज है अष्टमी और नवमी पूजा, ऐसे मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने का विधान भी है. वैसे कई लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं. दरअसल मार्केंडय पुराण के अनुसार सृष्टि सृजन में शक्ति रूपी नौ दुर्गा, व्यस्थापाक रूपी नौ ग्रह, चारों पुरुषार्थ दिलाने वाली नौ प्रकार की भक्ति ही संसार संचालन में प्रमुख भूमिका निभाती हैं. आमतौर पर कन्या पूजन सप्तमी से ही शुरू हो जाता है. सप्तमी, अष्टमी नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर पूजा जाता है.

शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि महागौरी को शिवा भी कहा जाता है. इनके हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है. अपने सांसारिक रूप में महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी चतुर्भुजा हैं. ये सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार रहती हैं. इनके समस्त आभूषण आदि भी श्वेत हैं. महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं.

नवरात्रि का आठवां दिन यानी की महाअष्टमी मां गौरी को समर्पित है. देवी महागौरी की विधिवत् पूजा करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इतना ही नहीं अगर किसी की शादी होने में भी कोई रुकावट आ रही है, तो इस दिन उन लोगों को जरूर मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए. इस दिन मां की पूजा करते समय दुर्गासप्तशती के आठवें अध्याय का पाठ करने से मां प्रसन्न होती हैं.

आज शारदीय नवरात्र का आठवां दिन है लेकिन इस साल 24 अक्टूबर को ही नवमी भी मनाया जा रहा है. महाअष्टमी नवनी पर उपवास करने का कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवरात्र अष्टमी की तिथि शुरुआत 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से शनिवार 24 अक्टूबर को 6 बजकर 58 मिनट तक ही रहेगी.

इसके बाद नवमी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो कि 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. वहीं दशमी तिथि 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट से आरंभ होकर 26 अक्टूबर की सुबह 9 बजे तक रहेगी.