भारत से महात्मा गांधी की मूर्तियां मंगवाकर विदेशी कर रहें ऐसा काम, सच जानकर हैरान हुए पीएम

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति ही नहीं, पूरी दुनिया महात्मा गांधी की दीवानी है। इसे इस बात से भी समझा जा सकता है कि पूरी दुनिया से पिछले तीन साल में लगभग 32 मूर्तियों की मांग भारतीय विदेश मंत्रालय से की गई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी भारत यात्रा के दौरान सोमवार को सबसे पहले साबरमती आश्रम जाकर महात्मा गांधी से जुड़ी कई चीजों को देखा। उन्होंने गांधी दर्शन का प्रतीक बन चुके चरखे को चलाकर देखा और उनके प्रिय तीन बंदरों की मूर्तियों को छूकर महसूस किया।

जिनमें अकेले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 22 मूर्तियां शामिल हैं। गांधी के अलावा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर, स्वामी विवेकानंद और महात्मा बुद्ध की मूर्तियां भी शामिल हैं।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations या ICCR) सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस संस्था से वर्ष 2016-17 में दुनिया के विभिन्न देशों से 11 भारतीय महापुरुषों की मूर्तियों की मांग की गई थी। इनमें अकेले नौ मूर्तियां केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की थीं।

ये बस्ट/मूर्तियां सैन फ्रैंसिस्को, पी मोनास्ट्री, विलेनियस, घाना, प्रिटोरिया, कुवैत, पोलैंड और सेंटियागो को भेजी गई थी। इसके अलावा एक मूर्ति साउथ ब्लॉक, विदेश मंत्रालय को भी दी गई थी।

इसके अलावा एक बस्ट गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की श्रीलंका को भेजी गई थी। ऐतिहासिक देवदासी के किरदार की दो मूर्तियां निरोसिया में स्थित हाई कमीशन ऑफ इंडिया को भेजी गई थी।

इसी प्रकार, वर्ष 2017-18 में सात बस्ट/मूर्तियां विदेशों को भेजी गई थीं। इनमें छह मूर्तियां शंघाई, मालावी, कोलंबिया, ग्रीस, त्रिनीदाद और स्पेन को भेजी गई थी। ब्रांज की एक बस्ट जून 2017 में साइप्रस को भेजी गई थी।

वर्ष 2018-19 में संस्था ने कुल 14 बस्ट/मूर्तियां को विदेशो को भेजा था। इसमें आठ मूर्तियां/बस्ट केवल महात्मा गांधी की थीं। ये मूर्तियां मेक्सिको, वियतनाम, जर्मनी, इराक, सिओल, रियाद, क्रोएशिया और कतर को भेजी गईं थीं।

इसके अलावा स्वामी विवेकानंद की एक बस्ट फ्रांस को और एक फिजी को भेजी गई थी। फिजी में संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री की भी एक-एक बस्ट भेजी गई थी। महात्मा बुद्ध की एक मूर्ति के साथ उनके शिष्यों की मूर्ति मंगोलिया भेजी गई थी।

सामान्य प्रक्रिया के तहत विदेश की कोई संस्था, सरकारी विभाग या मंत्रालय भारतीय महापुरुषों की मूर्तियों/बस्ट की मांग के लिए स्थानीय दूतावास से संपर्क करता है। कुछ अवसरों पर दूतावास भी इसके लिए पहल करता है।

सहमति बन जाने पर आवश्यकता के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय को बता दिया जाता है। इसके जरिए आईसीसीआर को संबंधित महापुरुषों की मूर्तियों या बस्ट को तैयार कराने का निर्देश दिया जाता है।

इसके बाद सामान्य तौर पर लगभग तीन से छह महीने के बीच में ये मूर्तियां संबंधित दूतावासों को भेज दी जाती हैं। वहां से संबंधित संगठन मूर्तियों को ले लेते हैं। विभिन्न विदेशी राजनयिकों को इन मूर्तियों को उपहार में भी दिया जाता है।