आंखों की समस्या को दूर करने के लिए करे ये छोटा सा काम

वैश्विक आंकड़ों की मानें तो जिन लोगों में कमजोर दृष्टि, दृष्टि दोष और अंधेपन की समस्या है, वैसे लोगों की संख्या अगले 30 सालों में दोगुनी हो जाएगी. इस मेटा-विश्लेषण को द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है .

आंकड़ों के मुताबिक, स्टडी में शामिल प्रतिभागियों में जिन लोगों की दृष्टि सामान्य थी उनकी तुलना में जिन लोगों में हल्का दृष्टि दोष था उन प्रतिभागियों के लिए मृत्यु दर का जोखिम 29 प्रतिशत अधिक था.

तो वहीं गंभीर दृष्टि दोष वाले लोगों में मृत्यु का जोखिम 89 प्रतिशत तक बढ़ गया था. यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि कमजोर दृष्टि का दृष्टि दोष के 5 में 4 मामले ऐसे होते हैं .

जिन्हें होने से रोका जा सकता है. दुनियाभर में दृष्टि की हानि और अंधेपन की सबसे बड़ी वजह- मोतियाबिंद (Cataract) और चश्मे की जरूरत को पूरा न करना है और ये दोनों ही ऐसे जोखिम कारक हैं जिन्हें होने से टाला जा सकता है.

जिसमें 17 अलग-अलग स्टडीज के 48 हजार लोग शामिल थे. इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों में दृष्टि से संबंधित गंभीर समस्याएं थीं (Severe Vision Problem) उनमें सभी कारणों से मौत का खतरा अधिक था उन लोगों की तुलना में जिनकी दृष्टि सामान्य थी या फिर जिन्हें बेहद हल्का दृष्टि दोष था.

कुछ दिनों पहले हुई एक स्टडी में यह बात सामने आयी कि जिन लोगों में अंधापन  और दृष्टि से संबंधित समस्याएं (Vision Problem) होती हैं उनमें मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है.

मेटा-विश्लेषण के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि दृष्टिहीनता यानी अंधापन और कमजोर दृष्टि (Vision Impairment) की समस्या, मृत्यु दर में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है. इस शोध के जरिए अनुसंधानकर्ताओं ने दुनियाभर में आंखों की सेहत को लेकर जो असमानताओं की स्थिति है उसे दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.