चीन से निपटने के लिए भारत ने किया…, अपने सैनिकों को…

भारत ने चीन के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि यह निर्माण कार्य भारतीय इलाके में हो रहा है। इससे पहले नौ मई को नॉर्थ सिक्किम के नाथू ला सेक्टर में भारतीय और चीनी सेना में झड़प हुई थी।

 

उस वक्त लद्दाख में एलएसी के पास चीनी सेना के हेलिकॉप्टर देखे गए थे। फिर इसके बाद भारतीय वायु सेना ने भी सुखोई और दूसरे लड़ाकू विमानों की पट्रोलिंग शुरू कर दी थी।

चीनी मंसूबे और हालत की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ जनरल विपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल रहे थे।

जानकारी के मुताबिक इस बैठक में भारत की ओर से तय किया गया कि जिस भाषा में चीन बात समझता हो, उसे उसी भाषा में समझा दिया जाए। चीन ने सोचा नहीं होगा कि भारत इस तरह पलटवार करेगा।

भारत के तल्ख तेवर के कारण अब चीन की चीख निकल रही है और वो डोकलाम की तरह लद्दाख से भी अपने सैनिकों से हटाकर दुनियाभर में अपनी फजीहत कराने के लिए मजूबर है।

कोरोना संकट से दुनिया का ध्यान भटकाने के लिए चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सैन्य गतिविधियां तेज कर दी है। भारत और चीन के बीच अक्साई चीन में स्थित गलवान घाटी को लेकर उस वक़्त तनाव पैदा हो गया जब गलवान घाटी के किनारे चीनी सेना ने कुछ टेंट लगा लिए।

गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चीन के बीच भारत-चीन सीमा के नजदीक स्थित है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा अक्साई चीन को भारत से अलग करती है। ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है।

इसके बाद भारत ने भी वहां फौज की तैनाती बढ़ा दी। चीन का आरोप है कि भारत गलवान घाटी के पास सुरक्षा संबंधी गैर-कानूनी निर्माण कर रहा है।