अयोध्या (Ayodhya) में विवादित स्थल का ताला खोलने का आदेश 1 फरवरी, 1986 को ही दे दिया गया था। जिला जज (District Judge) के आदेश के बाद लोगों ने ताला खोल भी दिया, लेकिन सवाल उठता है कि जस्टिस केएम पांडे (Justice KM Pandey) को आखिर ये निर्णय क्यों लेना पड़ा। राममंदिर (Ram Temple) व बाबरी मस्जिद (Babari Masjid) का टकराव सालों पुराना था।
अंग्रेजों के जमाने में या यू कहें कि अंग्रेजों के पहले से इस स्थान के मालिकाना हक को लेकर टकराव था। आजादी के बाद के करीब 40 वर्ष में फैजाबाद की न्यायालय में एक दर्जन से ज्यादा जिला जज आए व स्थानांतरित होकर चले गए। ये मुकदमा लगभग सभी जजों के सामने आया, लेकिन किसी ने निर्णय नहीं लिया। सभी ने सिर्फ तारिख लगाई व अपना कार्यकाल पूरा किया। लेकिन, केएम पांडे ने फैजाबाद (Faizabad) के जिला जज का कार्यभार संभालने के एक वर्ष के भीतर इस पर निर्णय सुना दिया। तत्कालीन सीजेएम सीडी राय (CJM CD Rai) जिला जज पांडे के इस पर निर्णय लेने के पीछे एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं।
क्या न्यायापालिका पर उठे सवाल ने जिला जज को किया मजबूर
अयोध्या में जिला जज की कुर्सी संभालने के बाद केएम पांडे रामलला के दर्शन करने गए थे। दर्शन के बाद जब जज साहब वहां से निकले तो बाहर खड़े एक साधु ने रामलला के बंद दरवाजे के बारे में पूछा। साधु की बात जज साहब को परेशान करने वाली थी। साधु ने रामलला के बंद दरवाजे के लिए न्यायालय (Judiciary) व राजनेताओं (Politicians) को जिम्मेदार बता दिया।
जज साहब के कुछ बोलने से पहले ही साधु ने जज साहब को विवादित स्थल का दरवाजा खोलने की चुनौती (Challenge) दे डाली। जिला जज पांडे को ललकारते हुए उस साधु ने बोला कि हौसला है तो इस मुद्दे में निर्णय सुना दो। उस साधु की बात ने जज साहब को अंदर तक झकझोर दिया। उन्होंने तय किया कि वह जल्द इस मुद्दे की सुनवाई पूरी करेंगे। इसके बाद जज साहब ने इस मुद्दे की सुनवाई करीब एक महीने में पूरी कर ली व 1 फरवरी, 1986 को ताला खोलने का निर्णय सुना दिया।
जस्टिस केएम पांडे को निर्णय के बाद आने लगे धमकी भरे खत
अयोध्या टकराव (Ayodhya Land Dispute) सालों पुराना था। आजादी (Independence) के बाद से ये मुद्दा तेजी से सुलग रहा था। ये एक ऐसा टकराव था, जिसका निर्णय देश का सांप्रदायिक सौहार्द (Communal harmony) बिगाड़ सकता था। ऐसे में तत्कालीन जिला जज केएम पांडे ने भले ही जिलाधिकारी (DM) व पुलिस अधीक्षक (SP) से फैजाबाद जिले में शांति व्यस्था के दशा की रिपोर्ट ले ली हो, लेकिन ये मुद्दा सिर्फ फैजाबाद का नहीं था।
ये मुद्दा था पूरी संसार में बसे हिंदू (Hindu) व मुसलमानों (Muslims) का। जज साहब भी इससे अछूते नहीं थे। निर्णय के बाद जिला जज पांडे को धमकियां (Threats) मिलना प्रारम्भ हो गईं। जस्टिस पांडे के साथ सीजेएम रहे सीडी राय बताते हैं कि निर्णय देने के करीब एक हफ्ते बाद पांडे जी को धमकी भरे खत मिलने प्रारम्भ हो गए।