इस देश के आगे घुटने टेकने को मजबूर हुआ चीन, पूरी तरह किया…

यही कारण है कि चीन जैसा देश हिंदुस्तान के साथ अपनी विस्तारवादी नीति में बार-बार फेल हो जाता है। सूत्र का कहना है कि हिंदुस्तान दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में है। हिंदुस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा का पूरी तरह से सम्मान करता है।

 

कांग्रेस सरकार और पीएम मनोमहन सिंह के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सचिवालय में रहे सूत्र का कहना है कि विदेश नीति और पड़ोसियों के साथ रिश्तों की आधारशिला देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। हिंदुस्तान ने इस फाउंडेशन को अभी तक हिलने नहीं दिया।

बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हिंदुस्तान का रिश्ता सहयोग, विश्वसनीयता का है। नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि देश ने कभी पड़ोसियों की अहमियत को नजर अंदाज नहीं किया।

चीन की सरहद पर मोदी सरकार के समय में हिंदुस्तानीय सुरक्षा बलों की गश्त पहले से ज्यादा प्रभावी तरीके से हो रही है। सीमा क्षेत्र में सामरिक उद्देश्य को केंद्र में रखकर संसाधनों के विकास को लेकर भी तेजी से काम हो रहा है।

हिंदुस्तान ने उत्तराखंड में चीन से लगती सीमा तक सड़क विस्तार करने के साथ-साथ लेह, लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल तक पहुंच को आसान बनाया है।

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी पंडित नेहरू की नीतियों को ही आगे बढ़ाया। यहां तक कि पीएम मोदी की पड़ोसी पहले की नीति भी इसी का हिस्सा है।

पीएम मोदी ने दिया नया आधार सूत्र का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदुस्तानी विदेश नीति में कोई छेड़छाड़ नहीं की है। उन्होंने इसे हिंदुस्तान के राष्ट्रीय हित में नया आधार दिया है।

हिंदुस्तान और चीन में नीतिगत मामलों को लेकर एक बड़ा फर्क है। इसी फर्क के कारण चीन के सुरक्षा बल एलएसी में घुसपैठ जैसा आक्रामक कदम तो उठाते हैं, लेकिन हर बार घुटने टेक कर पीछे हटने पर मजबूर हो जाते हैं।