कोरोना की बदनामी से बचने के लिए चीन ने किया ये काम, जानकर लोग हुए हैरान

चीन सरकार कोरोना पर सच्चाई छुपाना चाहती है. रिसर्च पेपर के प्रकाशन को लेकर जिस तरह के नए और कड़े नियम लगाए गए हैं उससे तो यही जाहिर होता है.

 

यह कोरोना महामारी  के ऑरिजिन को लेकर बनी राय पर नियंत्रण करने की सरकार (Government) की एक कोशिश लगती है.

इस वायरस ने अब तक पूरी दुनिया में एक लाख से ज्यादा लोगों की जान ले लगी है और 17 लाख लोग संक्रमित हैं. कोरोना के संक्रमण का पहला मामला चीन में आया था. वहां पर इससे 81,000 लोग प्रभावित हुए थे और 3000 लोगों की मौत हुई थी.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी के अंत से ही चीनी शोधार्थी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल्स में कोविड19 पर अपने अध्ययन प्रकाशित कर रहे हैं.

कोरोना (Corona virus) से जुड़े शोध पर चीन के वैज्ञानिकों के साथ काम कर रहे हॉन्कॉन्ग के एक मेडिकल एक्सपर्ट ने बताया कि उनकी क्लीनिकल एनालिसिस के प्रकाशन में फरवरी तक ऐसा कोई अंकुश नहीं लगाया गया था.

नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर चीनी शोधार्थियों ने कहा कि इस कदम से देश में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक शोध प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा, ‘यह वायरस को लेकर राय को नियंत्रित करने की सरकार (Government) का प्रयास है और वह यह दिखाना चाहती है कि वायरस का जन्म चीन में नहीं हुआ.’

चीन ने बदनामी से बचने के लिए नोवेल कोरोना (Corona virus) के ऑरिजिन से जुड़े अकैडमिक शोधों के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिए हैं.

यहां तक कि दो यूनिवर्सिटी ने भी ऐसा नोटिस जारी किया और फिर उस ऑनलाइन नोटिस को डिलीट भी कर दिया. नई नीति के तहत कोविड1 9 से जुड़े सभी अकैडमिक पेपर का पुनर्निरीक्षण किया जाएगा और उसके बाद पब्लिश करने की इजाजत दी जाएगी. वायरस के ऑरिजिन से जुड़े अध्ययनों की भी जांच की जाएगी और उसे सरकारी अधिकारियों की मंजूरी की जरूरत होगी.