खत्म हो रहा ये पर्वत, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, कहा दुनिया में होने वाला बहुत जल…

नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित रिसर्च में यह दावा यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी में वायुमंडलीय वैज्ञानिक यूं कियान ने किया है।

उन्होंने कहा कि तेजी से पिघलने वाली ध्रुवीय बर्फ की चोटियां चिंता का विषय हैं। ग्लेशियर से जो मीठा पानी बहकर नीचे उतरता है, वहीं नदियों में प्रवाहित होता है। एक अनुमान के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग 700 मिलियन लोग मीठे पानी की जरूरतों के लिए हिमालय की बर्फ पर ही निर्भर हैं।

रिसर्च के मुताबिक, हिमालय के पहाड़ों के ऊपर उड़ने वाली धूल बर्फ को तेजी से पिघला सकती है। क्योंकि धूल सूरज की रोशनी को अवशोषित कर सकती है और बाद में आसपास के क्षेत्र को गर्म कर सकती है।

स्टडी में पता चला है कि अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों से सैकड़ों मील की दूरी पर उड़ने वाली धूल और बहुत अधिक ऊंचाई पर उतरने से इसका हिमालयी क्षेत्र की बर्फ गलन प्रकिया पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

बता दें कि पहले भी ऐसी कई खबरें आ चुकी हैं कि बर्फ से ढके हिमालय की बर्फ ज्यादा तेजी से पिघल रही है। इस बात से पहले ही वैज्ञानिक परेशान हैं और अब एशिया और अफ्रीकी क्षेत्रों में ज्यादा प्रदूषण और धूल की वजह से हिमालय की बर्फ तेजी से पिघलने के चलते वैज्ञानिकों की चिंता और बढ़ गई है।

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि हिमालय बर्फ तेजी से पिघलती जा रही है। इसकी वजह एशिया और अफ्रीकी क्षेत्रों में ज्यादा प्रदूषण और धूल को माना जा रहा है।

अध्ययन में यह दावा किया है कि पश्चिमी हिमालय में ऊंचे पहाड़ों पर उड़ने वाली धूल की वजह से तेजी से बर्फ पिघल रही है। बताया जा रहा है कि हिमालय में ऊंचे पहाड़ों पर उड़ने वाली धूल, बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया में तेजी ला सकती है।