रमजान के पवित्र महीने में तोप की आवाज से रायसेन जिले में लोग रोजा खोलते थे। लॉकडाउन की वजह से इस बार 200 साल पुरानी परंपरा टूट गई है। इस बार यह तोप मौन रहेगी।
सुबह और शाम जब इलाके में तोप की आवाज गूंजती थी तो लोगों को सहरी और इफ्तार की जानकारी मिलती थी। कोरोना की वजह से इस बार प्रशासन ने तोप चलाने की अनुमति नहीं दी है।
तोप में गोले की जगह रस्सी बम का प्रयोग किया जाता है। इसे बारूद से तैयार किया जाता है। इस तोप को चलाने के लिए जिम्मेदार लोग सुबह तीन बजे पहाड़ी पर ऊपर जाते हैं, फिर सेहरी की जानकारी देकर नीचे आ जाते हैं, उसके बाद शाम को इफ्तार की जानकारी देने जाते हैं।
संक्रमण के कारण तोप चलाने के लिए अस्थाई लाइसेंस का आवेदन मुस्लिम त्यौहार कमेटी ने किया था, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने इस बार अनुमति नहीं दी।