सर्दियों में न करे ऐसा काम, नहीं हो सकती है ये गंभीर बीमारी

मस्तिष्क के किसी भाग में रक्त की आपूर्ति बाधित होने या गंभीर रूप से कम होने के कारण स्ट्रोक होता है. लापरवाही बरतने पर यह रोग जानलेवा होने कि सम्भावना है.

 

सर्दियों के दिनों में स्ट्रोक के मुद्दे बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं. सावधानी बरतकर स्ट्रोक से बचा जा सकता है. स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के टिश्यूज में ऑक्सीजन  पोषक तत्वों की कमी होने पर कुछ ही मिनटों में, मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं. स्ट्रोक होने पर जल्द से जल्द समुचित उपचार करने पर मस्तिष्क की क्षति  संभावित जटिलताओं को घटाया जा सकता है.

कारण

स्ट्रोक होने पर मस्तिष्क को ऑक्सीजन  पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो पाती. इस कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं.

स्ट्रोक के प्रकार

लगभग 85 फीसदी स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते हैं. शेष 15 फीसदी स्ट्रोक ब्रेन हेमरेज के कारण होते हैं. ब्रेन हेमरेज का एक प्रमुख कारण हाई ब्लड प्रेशर है. इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं. इससे रक्त प्रवाह में बहुत ज्यादा कमी हो जाती है. इसे इस्कीमिया बोला जाता है. इस्कीमिक स्ट्रोक के भीतर थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है. जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) बनता है तो थ्राम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है. यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव (प्लॉक) के कारण होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है. इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस बोला जाता है.

एम्बोलिक स्ट्रोक

मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली किसी एक धमनी में मस्तिष्क से दूर किसी अन्य अंग, आमतौर पर आपके दिल में रक्त के थक्के (थ्रॉम्बस) बनते हैं, जो रक्त प्रवाह के साथ बहकर मस्तिष्क की रक्त धमनी को संकरा बना देते हैं. इस तरह के रक्त के थक्के को एम्बोलस बोला जाता है.

ट्रांजिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए)

इस्कीमिक अटैक (टीआईए) को मिनी स्ट्रोक के रूप में भी जाना जाता है. इसमें कम समय के लिए उसी तरह के लक्षण प्रकट होते हैं, जिस तरह के लक्षण स्ट्रोक के समय होते हैं. मस्तिष्क के किसी हिस्से में थोड़े समय के लिए रक्त आपूर्ति में कमी होने पर टीआईए की स्थिति उत्पन्न होती है, जो पांच मिनट से भी कम समय तक रहती है. अगर किसी आदमी को टीआईए हुआ है तो इसका मतलब यह है कि मस्तिष्क या दिल को रक्त की आपूर्ति करने वाली कोई धमनी आंशिक तौर पर अवरुद्ध हुई है या संकरी हुई है.

जोखिम भरे कारक

हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल  अत्यधिक फैट की चर्बी स्ट्रोक के कुछ कारण हैं. इसके अतिरिक्त ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (नींद संबंधी समस्या) भी एककारण है. इस समस्या में रात के समय ऑक्सीजन का स्तर रुक- रुककर गिरता है. वहींहृदय रोगों के कारण भी स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है.

इस्कीमिक स्ट्रोक का उपचार करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक को जल्द से जल्द मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बहाल करना होता है. दवाओं के जरिए इमरजेंसी उपचार के भीतर थक्के को घुलाने वाली थेरेपी स्ट्रोक के तीन घंटे के भीतर प्रारम्भ हो जानी चाहिए. अगर यह थेरेपी नस के जरिए दी जा रही है तो जितना शीघ्र प्रारम्भ हो उतना अच्छा है. शीघ्र इलाज होने पर न केवल मरीज के जीवित रहने की आसार बढ़ जाती है, बल्कि जटिलताएं होने के भी खतरे बहुत ज्यादा घट जाते हैं. इसके अतिरिक्त एस्पिरिन नामक दवा भी दी जाती है. यह दवा रक्त के थक्के बनने से रोकती है. इसी तरह टिश्यू प्लाजमिनोजेन एक्टिवेटर संक्षेप में टीपीए (रक्त के थक्के को दूर करने की दवाई) को नसों में इंजेक्शन से लगाया जाता है. टीपीए स्ट्रोक के कारण खून के थक्के को घोलकर रक्त के प्रवाह को फिर बहाल करता है.