पिछले कई दिनों से देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) व नागरिक रजिस्टर पंजी। (NRC) पर बवाल मचा हुआ है.
सीएए पर केन्द्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का बोलना है कि यह कानून तीन पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्रों पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इस कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 या उस दिन तक हिंदुस्तान में आए इन तीनों राष्ट्रों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है. इसी बीच देशभर में एनआरसी लागू करने के अपने पिछले बयान पर सरकार ने कुछ नरमी दिखाई है.
उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान में एक बड़े तबके ने सीएए में मुस्लिमों को शामिल ना किए जाने का विरोध किया है. विपक्ष का भी बोलना है कि सरकार को कानून में मुस्लिमों को भी शामिल करना चाहिए. इस पर सरकार का तर्क है कि इन तीनों राष्ट्रों में मुस्लिमों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता व इसलिए इस समुदाय को कानून में शामिल नहीं किया गया.
नागरिकता कानून पर हिंदू न्यूज चैनल न्यूज-18 पर बीजेपी व कांग्रेस पार्टी नेताओं के बीच एक शो के दौरान तीखी नोकझोंक हुई. इस दौरान कांग्रेस पार्टी नेता व दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर हारून यूसुफ ने बोला कि बीजेपी ने सीएए में एक समुदाय को छोड़ दिया, जोकि भारत के मुसलमानों के विरूद्ध है.