यूपी में एक्सप्रेस वे के किनारे औद्योगिक शहर विकसित करने की क़वायद, ये है प्लानिंग

उत्तर प्रदेश सरकार एक्सप्रेसवे और राजमार्गों के किनारे औद्योगिक शहर विकसित करने के एजेंडे पर जोर-शोर से काम कर रही है। सरकार नोएडा की तर्ज पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के पास एक नया औद्योगिक शहर विकसित करने की तैयारी में है। सरकार निकट भविष्य में कई और एक्सप्रेसवे के पास नए औद्योगिक शहर स्थापित करने की भी घोषणा कर सकती है।

उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य है। वर्तमान में, राज्य में छह एक्सप्रेसवे चालू हैं जबकि सात निर्माणाधीन हैं। औद्योगिक शहरों को विकसित करने के पीछे का उद्देश्य 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन उच्च गति वाले मार्गों पर विकास की गति को कई गुना बढ़ाना है। सरकार इन औद्योगिक शहरों में सभी प्रकार के आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास करेगी।

जानकारों का कहना है कि एक्सप्रेसवे के किनारे विकसित होने वाले औद्योगिक शहर एक ओर तो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे और दूसरी ओर मौजूदा शहरों में जनसंख्या को कम करेंगे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे चालू हैं, जबकि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे का निर्माण चल रहा है।

दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे, गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेसवे और गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे पर तेजी से काम चल रहा है। सरकार एक्सप्रेस-वे के किनारे विभिन्न औद्योगिक पार्क बनाने के साथ-साथ नए शहर विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झाँसी के पास लगभग 14, 000 हेक्टेयर क्षेत्र में नोएडा की तर्ज पर एक नया औद्योगिक शहर स्थापित करने की योजना की घोषणा की थी।

इसके अलावा उत्तर प्रदेश का पहला फार्मास्युटिकल पार्क भी ललितपुर में बनाया जाएगा। इसी प्रकार, यमुना एक्सप्रेसवे पर नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को फिल्म सिटी, टॉय पार्क और लॉजिस्टिक्स पार्क सहित विभिन्न वाणिज्यिक और आवासीय योजनाओं के माध्यम से एक औद्योगिक शहर की तरह विकसित किया जा रहा है। आने वाले दिनों में अन्य एक्सप्रेसवे पर भी इसी तरह की गतिविधियां तेज होने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने के लिए सरकार लंबित राजस्व और चकबंदी मामलों के निस्तारण में तेजी लाकर बड़े पैमाने पर भूमि बैंक तैयार कर रही है। 2018 के यूपी इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से, राज्य में 4.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश जमीन पर उतरा है।

वहीं, सरकार 2023 के यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान मिले 38 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक निवेश प्रस्तावों को लागू करने की पूरी कोशिश कर रही है। एक्सप्रेसवे के किनारे विभिन्न औद्योगिक पार्कों के माध्यम से नए उद्योग स्थापित किए जाएंगे। इससे राज्य के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और आजीविका के लिए दूसरे शहरों में उनके प्रवास पर रोक लगेगी। इससे मौजूदा शहरों पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी कम होगा।