खांसी को दूर करने के लिए करे ये आसान सा घरेलू उपाय

यह संक्रमण युक्त व्यक्तियों के शारीरिक द्रवों से संपर्क होने से भी फैलता है जैसे नाक का पानी गिरना। मानसून का मौसम शुरू हो चुका है।

 

इस मौसम में सर्दी-जुखाम होना बहुत ही आम बात है। मगर, कई लोगों को इस मौसम में सूखी खांसी आती है। यह खांसी काफी दर्दनाक होती।

इससे न केवल गले में बल्कि पूरे शरीर में दर्द होता है। वैसे सूखी खांसी किसी भी मौसम में हो सकती है मगर, बारिश के मौसम में इसके आसार ज्यादा होते हैं। यह खांसी बिना कफ के आती है इसलिए इसमें काफी परेशानी होती है।

मौसम में जरा से बदलाव से हमारे शरीर में सबसे पहले असर होता है, और सूखी खांसी जैसी बीमारी हमें जकड़ लेती है। सर्दी होने से हमारी नाक गला सभी बंद हो जाता है और हमें सांस लेने तक में कठिनाई होती है।

कई बार सर्दी तो ठीक हो जाती है, लेकिन खांसी पीछा नहीं छोड़ती, और ये खांसी बिना कफ के सूखी होती है।कूकर कास या कूकर खांसी या काली खांसी wooping cough जीवाणु का संक्रमण होता है .

जो कि आरंभ में नाक और गला को प्रभावित करता है। यह प्रायः २ वर्ष से कम आयु के बच्चों की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है।

इस बीमारी का नामकरण इस आधार पर किया गया है कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सांस लेते समय भौंकने जैसी आवाज करता है। यह बोर्डेटेल्ला परट्यूसिया कहलाने वाले जीवाणु के कारण होता है।

यह जीवाणु व्यक्तियों के बीच श्वसन क्रिया से निष्कासित जीवाणु से फैलती है। यह तब होता है जब संक्रमण युक्त व्यक्ति खांसते या छींकते हैं।