कृषि कानून के खिलाफ अब किसानों ने उठाया ये बड़ा कदम, सरकार की बढ़ी टेंशन

किसान की नाराजगी को देखते हुए चौधरी अजित सिंह की पार्टी आरएलडी अपने खोए हुए जनाधार को दोबारा समेटने में जुटी है, जिसकी कमान अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी संभाल रहे हैं.

वो पश्चिम यूपी के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में किसान महापंचायत कर चुके हैं. इनमें शामली, अमरोहा, अलीगढ़, बुलंदशहर, फतेहपुरी सीकरी, हाथरस और मथुरा जिले में चार रैली हैं.

इसके अलावा अब वो पश्चिम यूपी में विधानसभा स्तर पर भी किसान रैलियां शुरू कर रहे हैं, जिनमें मेरठ के मवाना सहित तमाम जगह किसान पंचायत करने का प्लान बनाया है. आरएलडी इन रैली के जरिए अपने परंपरागत वोट रहे जाट समुदाय को वापस लाने की कवायद में जुटी है.

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों से निकले आंसुओं ने किसान आंदोलन को एक तरफ संजीवनी देने के साथ-साथ यूपी की सियासत को भी गर्मा दिया है. किसान के नाम पर पश्चिम यूपी के जिलों से शुरू हुई महापंचायतें अब पूरे प्रदेश में फैल गई हैं.

नरेश टिकैट दिल्ली के बॉर्डर से लेकर हरियाणा और राजस्थान में किसान पंचायतें कर रहे हैं तो दूसरी तरफ नरेश टिकैत ने यूपी में मोर्चा संभाल रखा है.

मुजफ्फरनगर और बिजनौर महापंचायत में बड़ी भीड़ जुटाकर पहले पश्चिम यूपी की सियासी तपिश को बढ़ाया और अब पूर्वांचल और अवध के इलाके में किसानों के बीच कृषि कानून के खिलाफ माहौल बनाने की कवायद शुरू कर रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार सुभाष मिश्रा कहते हैं कि किसान आंदोलन पश्चिम यूपी से अब सेंट्रल यूपी और पूर्वांचल के जिलों में ले जाने की जो तैयारी है, वो वाकयी सरकार के लिए चुनौती बढ़ा सकती है.

पश्चिम यूपी से ज्यादा पूर्वांचल के किसानों की हालत दयनीय है. यहां न तो यहां पश्चिम यूपी तरह मंडिया हैं और न ही उचित उनकी फसल का उचित रेट मिलता है. व

हीं, बस्ती के बेल्ट में गन्ना की अच्छी फसल होती है, लेकिन सरकार ने मूल्य नहीं बढ़ाए हैं. ऐसे में किसानों की अपनी नाराजगी है, जिसे भारतीय किसान यूनियन की पंचायतें और बढ़ा सकती है. यूपी में पंचायत चुनाव है और अगले ही साल विधानसभा चुनाव है. ऐसे में किसान महापंचायतें सरकार के लिए परेशानी बढ़ा सकते हैं.

कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन पंजाब से शुरू हुआ और हरियाणा और दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर तीन महीने से जारी है, लेकिन इस आंदोलन की आंच उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भी फैल रही है.

पश्चिम यूपी को तेजी से अपनी जद में लेने के बाद किसान आंदोलन का दायरा सूबे भर में बढ़ रहा है. भारतीय किसान यूनियन अवध और पूर्वांचल के जिलों में भी किसान महापंचायत करने की तैयारी में जुट गए हैं. भारतीय किसान यूनियन ने 24 फरवरी को बाराबंकी और 25 फरवरी को बस्ती में महापंचायत आयोजित करने का ऐलान किया है.

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता,आलोक वर्मा ने बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में हम प्रदेश भर मे किसान पंचायत करेंगे. प्रदेश की राजधानी से सटे हुए जिले बाराबंकी के हैदरगढ़ में 24 फरवरी को किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत पंचायत को संबोधित करेंगे. इसके बाद 25 फरवरी को पूर्वांचल के बस्ती जिले के मुण्डेरवा में भी किसान महापंचायत में नरेश टिकैत बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे.