ताइवान पर भारत की पॉलिसी को लेकर समाने आई ये बड़ी खबर , मोदी सरकार ने रखी अपनी बात

ताइवान पर भारत की पॉलिसी को लेकर मोदी सरकार ने अपनी बात रख दी है। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने मामले को लेकर कहा है कि ताइवान को लेकर भारत की नीति स्पष्ट और सुसंगत है। यह व्यापार, निवेश और पर्यटन क्षेत्रों में बातचीत को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

मुरलीधरन ने आगे बताया है कि ताइवान और भारत के बीच औपचारिक राजनियक संबंध नहीं है लेकिन दोनों पक्षों के बीच व्यापार और लोगों से लोगों के बीच का संबंध है। बता दें कि 1949 से ताइवान स्वतंत्र तौर पर रहा है। चीन ताइवान को अपने एक प्रांत के तौर पर देखता है हालांकि ताइवान के नेताओं और अधिकारियों का मानना है कि ताइवान एक ऑटोनोमस देश है।

बता दें कि हाल के दिनों में चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शी जिनपिंग ने हाल ही में कहा है कि वह किसी भी हालात में ताइवान को चीन में मिलाएंगे। इस पर ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने कहा है कि एक उचित कारण हमेश से समर्थन आकर्षित करता है। हम अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और अपने लोगों की रक्षा के साथ ही क्षेत्रीय शांति बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। हम वह सब कर रहे हैं जो कि हम कर सकते हैं। हम साथ काम करने वाले समान विचारधारा वाले देशों की सराहना करते हैं।

भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव को लेकर कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत को अपनी चीन पॉलिसी पर फिर से विचार करने की जरूरत है। कइयों का कहना है कि भारत को चीन की वन चाइना पॉलिसी के विरोध में आना चाहिए तो कइयों ने तिब्बत कार्ड आदि खेलने की सलाह दी है।

लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत ताइवान के साथ मजबूत संबंध बनाकर चीन को कड़ा संदेश दे सकता है। भारत और ताइवान ने अपनी राजधानी में ‘व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान’ ऑफिस बनाए हुए हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि ताइवान को एक देश के तौर पर मान्यता देना भारत के लिए मौजूदा वक्त में संभव नहीं है लेकिन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी संभव है। जिस तरह से चीन ताइवान पर दबाव बना रहा है ऐसे में भारत इस मौके को भुनाकर ताइवान के साथ बेहतर संबंध बना सकता है।