नेपाल में आई ये बड़ी आफत, सेना को पड़ा बुलाना

नेपाल के द काठमांडू पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीपी प्रमुख प्रचंड ने खेद जताया है कि वे ओली के पांच वर्ष सरकार चलाने के प्रस्ताव को मान गए. प्रचंड ने अखबार से बोला कि या तो हमें अपने रास्ते बदलने होंगे या इन्हें एक स्थान लाना होगा

नेपाल के जानकारों का मानना है कि पीएम ओली पहले ही पार्टी में बहुत ज्यादा नापसंद किए जाते रहे हैं. इसीलिए उन्होंने पिछले महीने जानबूझकर हिंदुस्तान के क्षेत्रों को नेपाल में दिखाने का नक्शा संसद के दोनों सदनों में पास कराया, ताकि पार्टी में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें व ऐसी छवि पेश कर सकें जैसे उन्होंने एक बड़े देश के सामने नेपाल को खड़ा किया. हालांकि, ऐसा नहीं हो पाया व ओली को स्टैंडिंग कमेटी की पहली मीटिंग में ही प्रचंड की तरफ से आलोचना का सामना करना पड़ा.

ओली पर दबाव किस कदर बढ़ा है, इसका दावा नेपाली मीडिया की एक रिपोर्ट करती है. इसमें बोला गया है कि नेशनल कम्युनिस्ट पार्टी की शुक्रवार को पीएम ओली के घर पर ही हाई-लेवल बैठक थी.

लेकिन ओली खुद इस मीटिंग में नहीं पहुंचे. उन्होंने संदेश भिजवाया कि वो कुछ ही देर बाद बैठक में शामिल होंगे. लेकिन वे आखिर तक नहीं आए.

हिस्से पर अतिक्रमण करने के विपक्ष के आरोपों से दबाव में हैं. अब रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उनकी खुद की पार्टी उन पर पद से त्याग पत्र देने का दबाव बना रही है.

दरअसल, ओली नेपाल के पीएम के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष भी हैं. यह पोस्ट वे अपने धुर विरोधी माने जाने वाले नेता पुष्प कमल दहल (प्रचंड) के साथ साझा करते हैं. हालांकि, अब पार्टी ने उन्हें इनमें से एक पद से त्याग पत्र देने के लिए कह दिया है.

नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली अब चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं. हिंदुस्तान के साथ सीमा टकराव पर आक्रामक रुख अख्तियार करने वाले ओली पहले ही चाइना द्वारा बड़े