उत्तराखंड सरकार ने पर्यटकों को दिया यह बड़ा तोहफा, अब जल्द मिलेगा इस सेवा का लाभ

उत्तराखंड के शहरों में भी सैलानी होटल की भांति अपार्टमेंट में रह सकेंगे। इसके लिए सरकार अपार्टमेंट नीति लाने जा रही है जिसका मसौदा तैयार हो चुका है। मेट्रोपॉलिटन शहरों की भांति उत्तराखंड के शहरों में भी सैलानी होटल की भांति अपार्टमेंट में रह सकेंगे। इसके लिए सरकार अपार्टमेंट नीति लाने जा रही है, जिसका मसौदा तैयार हो चुका है। मसौदे में ग्रुप हाउसिंग के तहत बनने वाले अपार्टमेंट के 20 फीसद हिस्से के व्यावसायिक उपयोग की छूट देने की बात कही गई है। यानी, संबंधित बिल्डर या कंपनी इस हिस्से का उपयोग होटल या अन्य व्यावसायिक गतिविधि के लिए कर सकेंगे। वहां किराए पर ठहरने वाले लोगों को घर जैसी सुविधाएं और सहूलियत देनी अनिवार्य होंगी।

महानगरों में विभिन्न कार्यों से पहुंचने वाले पर्यटक या अन्य लोग होटल की बजाए अपार्टमेंट में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। उत्तराखंड में भी सैलानियों समेत तमाम कार्यों से आने वाले लोग अपार्टमेंट ढूंढते हैं, मगर यह नहीं मिल पाते। इसे देखते हुए सरकार ने अपार्टमेंट नीति की कसरत शुरू की, लेकिन पूर्व में रेरा के अस्तित्व में आने समेत अन्य कारणों से यह मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई। करीब सालभर की मशक्कत के बाद अब इसका मसौदा तैयार कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार मसौदे में इस बात पर जोर दिया गया है कि किसी भी अपार्टमेंट में 20 फीसद हिस्से के मिक्स यूज या व्यावसायिक उपयोग की छूट दी जाएगी।

इसके लिए शर्त रखी गई है कि ऐसे अपार्टमेंट में पार्किंग के बाद पहले तल पर डिपार्टमेंटल स्टोर, रेस्टोरेंट समेत अन्य सुविधाएं हों। मिक्स यूज के तहत अपार्टमेंट के 20 फीसद हिस्से को होटल, पेइंग गेस्ट के तौर पर उपयोग में लाया जा सकेगा। यह शर्त होगी कि वहां ठहरने वाले लोगों को घर जैसी सुविधाएं मिलें। यह दायित्व उस बिल्डर या कंपनी का होगा, जिसका वह ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट होगा। इस नीति के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश के शहरों में ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में तेजी आने की संभावना जताई गई है। साथ ही सैलानियों को अपार्टमेंट में घर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होने से उनका राज्य में आगमन का रुझान और बढ़ेगा।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि राज्य में अभी तक अपार्टमेंट पॉलिसी नहीं है। इस पर होमवर्क के बाद पॉलिसी का मसौदा तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इसे कैबिनेट में ले जाया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।