चीन के ‘न्यूक्लियर प्लांट’ में हुआ ऐसा, दुनिया को तबाह करने वाले…

अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि न्यूक्लियर प्लांट के लिए काम करने वाले लोगों और चीन के बाकी नागरिकों को इससे खतरा नहीं है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि एक विदेशी कंपनी ने खुद अमेरिका से मदद मांगी है.

जबकि उसके चीनी पार्टनर को इस संबंध कोई जानकारी नहीं है. अब अगर ऐसे में यहां लीकेज (China Leakage Issue) की समस्या जारी रहती है और उससे आगे चलकर कोई बड़ा खतरा उत्पन्न होता है.

तो वो अमेरिका के लिए मुश्किल की स्थिति बन जाएगी कि उसने जानकारी होते हुए भी कुछ नहीं किया. फ्रांस की कंपनी ने चीन के साथ साल 2009 में तैशान न्यूक्लियर पावर प्लांट का निर्माण शुरू किया था. फिर 2018 और 2019 में यहां बिजली उत्पादन शुरू हुआ.

इससे जुड़े दस्तावेजों और अमेरिकी अधिकारियों की मदद से सीएनएन ने इस पूरे मामले का खुलासा किया है. फ्रांस की कंपनी ने यह भी चेतावनी दी है कि चीन इस डर में है कि गुआंगदोंग प्रांत में स्थित ये तैशान न्यूक्लियर पावर प्लांट (Taishan Nuclear Power Plant) कहीं बंद ना हो जाए, इसके लिए उसने यहां विकिरण की स्वीकार्य सीमा को बढ़ा दिया है.

फ्रांस की फ्रांमाटोम कंपनी ने इस संबंध में अमेरिका को एक लेटर भेजा है. सूत्र के अनुसार, कंपनी से मिली चेतवानी के बाद भी बाइडेन प्रशासन का मानना है कि ये खतरा ज्यादा बड़ा नहीं है. इन्हें लगता है कि स्थिति अभी नियंत्रण में है.

दुनिया को तबाह करने वाले कोरोना वायरस को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि ये चीन की वुहान लैब से फैला है. अपनी इस लापरवाही पर पर्दा डालने वाले चीन की अब एक और गलती पकड़ में आई है.

दरअसल चीन के एक न्यूक्लियर पावर प्लांट (Nuclear Plant) से लीकेज का मामला सामने आया है. अमेरिकी सरकार ने बीता एक हफ्ता इससे जुड़े खतरे का आकलन करने में बिताया है.

फ्रांस की एक कंपनी का भी इस परमाणु संयंत्र में हिस्सा है और वह भी यहां संचालन करने का काम करती है. इस कंपनी ने संभावित रेडियोलॉजिकल खतरे को लेकर चेतावनी दी है.