इस देश ने बंदरों पर किया कोरोना वैक्सिन का प्रयोग, चौबीस घंटे बाद हुआ…

इसे बंदर के अंदर आजमाया गया था। इसके बारे में शोधकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि कोविड वायरस को ही जेनेटिक तौर पर सुधारने के बाद बंदरों के अंदर उसके इंजेक्शन दिये गये थे।

 

इसके बाद बंदरों के शरीर में असली कोविड के प्रतिरोध करने वाले एंटीबॉडी तैयार हो गये। यह एंटीबॉडी इतना शक्तिशाली है कि वह असली कोविड 19 वायरस को मार सकता है।

जिस बंदर की प्रजाति पर इसे आजमाया गया है उसे रेहसूस माकाउ कहा जाता है। यह बंदर दरअसल भारतीय प्रजाति का बंदर है। जिसे वायरस के परीक्षण के लायक इसलिए भी समझा गया क्योंकि उसकी आंतरिकबनावट इंसानों से बहुत मिलती जुलती है ।

इस एंटीबॉडी का परीक्षण किये जाने के बाद लगातार एक सप्ताह तक चौबीस घंटे इसकी निगरानी की गयी थी। तीन सप्ताह  के बाद यह पाया गया कि बंदर के फेफडे में जो कोरोना वायरस का संक्रमण था, वह पूरी तरह समाप्त हो चुका है।

चौथे सप्ताह में वायरस नहीं मिलने के बाद सारी जांच पूरी कर लेने के बाद ही वैज्ञानिकों ने यह जानकारी सार्वजनिक की है। दूसरी तरफ इसी प्रजाति के जिन बंदरों को यह पिकोवैक का इंजेक्शन नहीं दिया गया था, उनमें क्रमशः न्यूमोनिया के भीषण लक्षण बढ़ते चले गये।

पहली बार यह घोषणा की गयी है कि इस प्रयोग के सफलहोने के बाद अप्रैल के मध्य से इंसानों पर भी इसका क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इसीक्रम में यह भी पता चला है कि चीन की  सेना की एक संस्था ने भी वैक्सिन तैयार किया है,जिसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं  देने के बाद भी सिर्फ इतना बताया गया है कि इंसानों पर उसका भी क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है।

बंदरों पर किया गया वैक्सिप्रयोग सफल रहा है। ऐसे दावा चीन के वैज्ञानिकों ने किया है। उन्हलोगों ने इस प्रयोग के सफल होने के बारे में जानकारी दी है।

इसके पहले इजरायल ने भी वैक्सिन अनुसंधान की दिशा में काफी तरक्की कर लेने की जानकारी औपचारिक तौर पर दी थी। उसके अलावा भी कई देशों में इस पर युद्धस्तर पर काम चल रहा है। हर प्रमुख प्रयोगशाला अपने अनुसंधान को तेजी से आगे बढ़ा रहा है।

खबर है कि इस काम से जुड़े वैज्ञानिक बिना आराम किये दिन रात काम कर रहे हैं ताकि दुनिया को इससे राहत दिलाया जा सके। दूसरी तरफ यह वैक्सिन तैयार करना भी एक आर्थिक युद्ध के जैसा है। इसमें जो वैक्सिन पहले तैयार कर लेगा वह दूसरों से तेजी से आगे निकल जाएगा।

खास तौर पर कोरोना संकट के समाप्त होने के बाद दुनिया की आर्थिक तस्वीर बदलने जा रही है, यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है।

चीन के बीजिंग स्थित सिनोवैक बॉयोटेक की तरफ से वैक्सिन के प्रयोग के पहले चरण के सफल होने का दावा किया गया है। इनलोगों ने पिकोवैक नामक यह वैक्सिन तैयार किया है।