कोरोना वायरस से परेशान हुआ ये देश, अब मरीजो को देने जा रहा…

कंपनी की दवा अतिंम चरण के टेस्ट में पहुंच चुकी है। कुछ उम्मीदवार को अब उनकी दूसरी खुराक दी जा रही है। डॉक्टर्स व शोधकर्ता द्वारा दवा निर्माण कर रही कंपनियों से अनुरोध किया जा रहा है.

कोरोना वायरस वैक्सीन के परीक्षण के दौरान अश्वेत, लातीनी व मूल अमेरिकियों को सम्मिलित किया जाए। ग्रुबर ने गुरुवार को कहा, इन समुदायों तक पहुंचने के लिए बहुत से अभियान चलाए जा रहे हैं, क्योंकि इन्हें परीक्षण के दौरान कम अगुवाई मिला है। इसलिए हम चाहते हैं कि इन समुदायों से लोग आगे आएं व हमारे परीक्षण का भाग बनें। उन्होंने बताया कि, इन समुदायों के लोगों को इससे बहुत फायदा मिलेगा।

फाइजर के नैदानिक अनुसंधान व विकास महकमे के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ बिल ग्रुबर का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होने कहा, लातीनी व अश्वेत या अफ्रीकी अमेरिकन जनसंख्या के बीच 19 फीसदी टेस्ट चल रहे हैं।

हम इसको आगे बढ़ाने की प्रयास कर रहे हैं। एक शोध में पता चला है कि श्वेत अमेरिकियों की तुलना में अश्वेत व लातीनी मूल के अमेरिकी दोगुने दर पर कोरोना से संक्रमित हुए हैं। वहीं, मूल अमेरिकी भी ज्यादा दरों पर संक्रमित हुए हैं। मूल अमेरिकी ग्रुप का इस नैदानिक टेस्ट में अगुवाई भी कम है।

अमेरिका में फाइजर व जर्मन पार्टनर बायोटेक द्वारा तैयार की जा रही कोरोना दवा के टेस्ट के लिए सिलेक्ट किए गए 30,000 स्वयंसेवकों में से 11,000 लोग अश्वेत या लातीनी मूल के हैं। फाइजर के एक वरिष्ठ अफसरों ने इसकी सूचना दी। अमेरिका में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित समाज भी यही है।