इस देश ने शुरु किया कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल, निकला ये परिणाम

वैज्ञानिकों ने इस परीक्षण में सफलता की 80 फीसद संभावना व्यक्त की है। पशुओं पर इसका परीक्षण बेहद सफल रहा है। पहले परीक्षण में दो लोगों को टीका लगाया गया है.

 

ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने चिंपैंजी में मिले ऐसे वायरस के जरिये तैयार टीके के पहले चरण में गुरुवार को 18 से 55 साल के 510 वालंटियर को खुराक दी।

इनमें एलिसा ग्रेनाटो नामक महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं। अगर यह परीक्षण सफल रहता है तो करीब दो लाख लोगों की जान लेने वायरस के खात्मे का रामबाण इलाज दुनिया को मिल सकेगा और दोबारा यह महामारी सिर नहीं उठा सकेगी।

शोध निदेशक प्रोफेसर सारा गिलबर्ट का दावा है कि टीके का इंसानों पर कोई शारीरिक दुष्प्रभाव नहीं होगा। जून में प्रारंभिक नतीजों के बाद सितंबर तक टीके की करीब दस लाख खुराक तैयार की जाएंगी, जिससे मंजूरी मिलने के बाद तेजी से इसे बांटा जा सके।

बता दें कि मानव इस्तेमाल से पहले वैक्सीन का प्री क्लीनिकल ट्रायल जानवरों पर होता है. इससे पता चलता है कि इंसानों में इसका इस्तेमाल सुरक्षित होगया या नहीं.

जानवरों में इस टेस्ट को करने में दो साल तक लग जाते हैं लेकिन वैश्विक महामारी को देखते हुए इस ट्रायल को केवल दो महीने में ही पूरा कर लिया गया है.

यूनिवर्सिटी का दावा है कि टीका छह माह में तैयार हो सकता है, क्योंकि यह कोरोना के सार्स जैसे पहले वायरस से काफी मेल खाता है।

जर्मनी में भी बायोनटेक और अमेरिकी कंपनी फाइजर द्वारा तैयार टीके को भी बुधवार मनुष्यों पर परीक्षण करने की मिल गई थी। जर्मन कंपनी परीक्षण के पहले चरण में 18 से 55 साल के 200 वालंटियर को खुराक देगी।

दुनियाभर में कोरोना वायरस का प्रकोप जारी है। इसी बीच कोरोना से निपटने के लिए ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना की वैक्सीन का सबसे बड़ा परीक्षण गुरुवार से शुरू हो गया। शोधकर्ता एक माह में 200 अस्पतालों में पांच हजार से ज्यादा लोगों पर टीके का परीक्षण करेंगे।