चीन के खिलाफ इस देश ने बनाया ये खतरनाक प्लान, छोड़ा…

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ‘रेशम की डोर नहीं बस मौली बांध देना भाई की कलाई पर, मगर, चीन की राखी मत खरीदना और याद रखना एक और भाई भी खड़ा है.
सीमा की चढाई पर’ के बड़े संदेश के साथ इस वर्ष देशभर में राखी का त्‍योहार हिन्दुस्तानी राखी के रूप में मनाया जाएगा और राखी बनाने अथवा बेचने में चीन का बना कोई भी सामान उपयोग में नहीं लाया जाएगा

खंडेलवाल ने बताया कि इस अनूठे अभियान में दिल्ली सहित देशभर में कैट के व्यापारी नेता तथा महिला उद्यमी आंगनबाड़ी तथा घरों में काम करने वाली एवं कच्ची बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से हाथ की बनी राखियां बनवा रही हैं।

वहीं 10 राखी के एक पैकेट के साथ रोली एवं चावल भी रख रहीं हैं और मिठाई के तौर पर एक पैकेट में मिश्री भी रखी जा रही है और एक बहुत सुन्दर राखी थाल भी बनाया गया है।

कैट ने गुरुवार को कहा कि कि इस बार राखी के त्योहार पर भारत की बहनें भारतीय राखी का इस्तेमाल करते हुए चीन को लगभग 4 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का घाटा पहुंचाएगी।

देश में राखी के त्योहार पर एक अनुमान के अनुसार करीब 6 हजार करोड़ रुपये का राखियों का व्यापार होता है, जिसमें अकेले चीन की हिस्सेदारी लगभग 4 हजार करोड़ होती है। राखी पर चीन से जहां बनी हुई राखियां आती हैं।

वहीँ, दूसरी ओर राखी बनाने का सामान जैसे फोम, कागज़ की पन्नी, राखी धागा, मोती, बूंदे, राखी के ऊपर लगने वाला सजावटी सामान आदि भी चीन से आयात होता है।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दिल्ली सहित देशभर में ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ के तहत चीनी सामानों के बहिष्कार का राष्ट्रीय अभियान छेड़ रखा है.

जिसकी शुरुआत 10 जून से हुई थी। संगठन का कहना है कि राखी वो पहला त्योहार होगा, जिससे चीन को पता लगेगा कि किस मजबूती से देश चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर चीन को एक बड़ा सबक देने की ठान चुका है।