कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के करीब पहुंचा यह देश, हुआ ट्रायल

प्रकाशित नतीजों के मुताबिक चैडॉक्स-1 वैक्सीन फेफड़ों को नुकसान पहुंचने से रोकने में असरदार साबित हुई है. इसके अलावा, इम्यून सिस्टम से संबंधित किसी बीमारी के पनपने का संकेत भी नहीं मिला है. कोरोना वायरस की हाई डोज से 6 बंदरों को संक्रमित किया गया था.

 

बता दें कि 13 मई को इस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल भी शुरू हो चुका है। इस ट्रायल में 100 वॉलंटियर्स ने हिस्सा लिया है।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन ऐंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में फार्मा को-एपिडेमोलॉजी के प्रोफेसर स्टीफेन इवान्स ने बताया, इस स्टडी की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वायरल लोड और न्यूमोनिया के खिलाफ वैक्सीन के असरदार होने के साथ-साथ इम्यूनजनित किसी बीमारी का संकेत नहीं मिला है, जबकि अधिकतर वैक्सीन के साथ ये चिंता जुड़ी रहती है।

किंग्स कॉलेज लंदन के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पेनी वार्ड ने बताया, ये देखना अच्छा है कि बंदरों पर कोरोना की वैक्सीन के परीक्षण के दौरान फेफड़ों में किसी अन्य बीमारी का सबूत नहीं मिला है. सार्स की वैक्सीन के दौरान अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में संक्रमण के कुछ सबूत मिले थे लेकिन बंदरों को दी गई वैक्सीन के बाद न्यूमोनिया का कोई संकेत नहीं मिला है।

कोरोना की इस वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिकों के अंदर इतना भरोसा है कि वह इसका उत्पादन भी शुरू कर चुके हैं। दुनिया के 7 सेंटर में इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो चुका है। इन सेंटरों में भारत का नाम भी शामिल है।

कोरोना वायरस की वजह से अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है। चीन के वुहान शहर से निकला ये वायरस हर दिन तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है। दुनिया के ज्यादातर विकसित देश इस खतरनाक वायरस की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं। लेकिन दवा की इस रेस में ब्रिटेन सबसे आगे निकलता नजर आ रहा है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने के और करीब पहुंच गए हैं। यूनिवर्सिटी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन के जानवरों पर किए गए परीक्षण के नतीजे प्रकाशित किए हैं जो लोगों में उम्मीद जगाने वाले हैं।