भारत से तनाव के बीच इस देश ने की चीन की तरफदारी, कहा अगर किसी ने…

भारतीय पत्रकारों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कोसाचेव ने कहा, दुनिया के प्रभावशाली और मजबूत देश इस समिट की चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं।

 

चीन इसका उदाहरण है। लेकिन अमेरिका ने भारत और रूस को बुलाया है लेकिन चीन को आमंत्रण नहीं दिया। इससे संदेह की स्थिति पैदा होती है।

रूस के फेडरेशन काउंसिल इंटरनेशनल अफेयर की कमेटी के चीफ और सांसद कॉन्सटैनटिन कोसाचेव ने कहा, हम अमेरिका द्वारा जी-7 को लेकर दिए प्रस्ताव को लेकर बिल्कुल भी उत्सुक नहीं हैं। वह चीन को टारगेट करने के लिए बनाए गए किसी भी गुट का हिस्सा नहीं बनना चाहता।

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन पर निशाना साधते हुए जी 7 का विस्तार कर भारत और रूस को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प से हुई बातचीत में कहा था कि कोरोना महामारी के बाद नई वैश्विक व्यवस्था में फोरम का विस्तार करना जरूरी है।

वहीं, जी 7 को लेकर रूस का नजरिया भारत से उलट है। रूस दोनों देशों के जी 7 में शामिल करने की मंशा पर ही सवाल उठा रहा है। रूस का कहना है कि ये सब चीन को अलग थलग करने का प्रयास है।

अमेरिका ने रूस को जी 7 में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। इसका कनाडा और ब्रिटेन समेत कई देशों ने विरोध भी किया है। वहीं, रूस का कहना है कि उन्हें, भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्टेलिया को जी 7 का आमंत्रण मिला है। लेकिन यहां उनके पास नतीजों को प्रभावित करने का कोई मौका नहीं होगा।

पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है। इसके चलते दुनिया के तमाम देश चीन को लेकर दो मत हो गए हैं। अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

उधर, चीन भारत के लद्दाख में चालबाजी कर रहा है। चीन को दुनिया से अलग थलग करने के प्रयास में भारत के सबसे पुराने दोस्त रूस ने दखल अंदाजी की है।

दरअसल, अमेरिका राष्ट्रपति ने जहां भारत को जी 7 में शामिल करने को लेकर सकारात्मक संदेश दिया है। वहीं, रूस ने चीन की तरफदारी की है। इतना ही नहीं रूस ने इस पूरे मामले को चीन को अलग थलग करने की रणनीति करार दिया है।