वायुसेना ने पहले ही चीन सीमा पर लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई, मिराज-2000, मिग-29 और जगुआर के साथ-साथ अमेरिकी अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है। आईएएफ 30 फाइटर स्क्वाड्रन (प्रत्येक में 16-18 जेट) के साथ एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैयार है।
वायुसेना के जानकारों का कहना है कि किसी भी नए लड़ाकू विमानों को आपूर्ति होने के तुरंत बाद हथियारों और सिस्टम के साथ मोर्चे पर तैनात नहीं किया जाता है क्योंकि उनका परीक्षण करने और रणनीति विकसित करने में समय लगता है लेकिन राफेल को जल्द ही इस प्रक्रिया से गुजारकर एलएसी पर दुश्मन का मुकाबला करने के लिए तैनात किया जाएगा।
वायुसेना के प्रवक्ता ने बताया कि अत्यधिक उन्नत हथियार प्रणालियों वाले फाइटर जेट राफेल से सम्बंधित एयरक्रूज और ग्राउंड क्रू ने अपने व्यापक प्रशिक्षण पूरे कर लिए हैं।
राफेल के आने पर फिलहाल अभी किसी भी मीडिया कवरेज की इजाजत नहीं होगी बल्कि इस फ्रांसीसी जहाज को वायुसेना के बेेेड़े मेें शामिल करने का औपचारिक समारोह 20 अगस्त को होगा जिसमें मीडिया कवरेज हो सकेगी।
फ्रांस से अब पहली खेप में छह के बजाय पांच लड़ाकू विमान राफेल 29 जुलाई को भारत आएंगे। लड़ाकू विमान राफेल के पहले दस्ते को अंबाला एयरबेस में तैनात किया जाएगा। इसीलिए विमान में लगने वाले उपकरण पहले ही वायुसेना के अंबाला एयरबेस पर पहुंच चुके हैंं।