इस देश ने हिंदुस्तान को दिया बड़ा झटका चीन से की दोस्ती, इस बड़ी परियोजना से किया बाहर

ईरान के रेलवे ने कहा है कि वह बिना हिंदुस्तान की मदद के ही इस परियोजना पर काम करेगा। इसके लिए वह ईरान के नैशनल डिवेलपमेंट फंड 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का प्रयोग करेगा। इससे पहले हिंदुस्तान की सरकारी रेलवे कंपनी इरकान इस परियोजना को पूरा करने वाली थी।

यह परियोजना हिंदुस्तान के अफगानिस्‍तान और अन्‍य मध्‍य एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराने की प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए बनाई जानी थी। इसके लिए ईरान, हिंदुस्तान और अफगानिस्‍तान के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार समझौते पर हस्‍ताक्षर हुआ था।

पूरी परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था। इस परियोजना को पूरा करने के लिए इरकान के इंजिनियर ईरान गए भी थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबं’धों के ड’र से हिंदुस्तान ने रेल परियोजना पर काम शुरू ही नहीं किया। अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए छूट दे रखी है लेकिन उपकरणों के सप्‍लायर नहीं मिल रहे हैं। हिंदुस्तान पहले ही ईरान से तेल का आयात बहुत कम कर चुका है।

बता दें कि पश्चिम एशिया में अमेरिका के साथ चल रही तनातनी के बीच ईरान और चीन जल्‍द ही एक महाडील पर समझौता कर सकते हैं। इसके तहत चीन ईरान से बहुत ही सस्‍ती दरों पर तेल खरीदेगा, वहीं इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है। इतना ही नहीं, चीन ईरान की सुरक्षा और घातक आधुनिक हथियार देने में भी मदद करेगा।

चीन से दोस्ती करने से पहले ही ईरान ने हिंदुस्तान को दिया बड़ा झटका, देश को किया एक बड़ी परियोजना से बाहर। हिंदुस्तान और चीन के बिगड़ते संबंधों का असर ईरान-चीन के बीच होने जा रही 400 अरब डॉलर की महा-सौदे से पहले ही दिखने लगा है। ईरान ने हिंदुस्तान को चाबहार रेल परियोजना से हिंदुस्तान को बाहर कर दिया है।

ईरान ने बताया कि समझौते के 4 साल बीत जाने के बाद भी हिंदुस्तान इस परियोजना के लिए फंड नहीं दे रहा है, इसलिए वह अब खुद ही चाबहार रेल परियोजना को पूरा करेगा। ईरान के इस ऐलान से हिंदुस्तान को बड़ा कूटनीतिक झटका लगा है। ये रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है। हिंदुस्तान ने ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर अरबों रुपये खर्च किए हैं। अमेरिका के दबाव की वजह से ईरान के साथ हिंदुस्तान के रिश्ते नाजुक दौर में हैं। चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बहुत अहम है। ये चीन की सहायता से विकसित किए गए पा’किस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है।