इस देश में नहीं दिख रहा सूरज, चारो तरफ छाया अँधेरा, लोगो में मची अफरातफरी

रेत बारीक कण 3 से 7 हज़ार फीट की ऊंचाई पर हवा के साथ इधर-उधर जाते हैं. ये देखने में एक बादल की तरह नज़र आता है, लेकिन असल में ये सहारा रेगिस्तान की धूल होती है.

मौसम वैज्ञानिकों ने कैरेबियाई राष्ट्रों में स्थिति के व बिगड़ने की भी चेतावनी दी. यूनिवर्सिटी ऑफ़ प्युर्तो रिको की मौसम विज्ञानी ओल्गा मायोल के मुताबिक ऐसा करीब 50 वर्षों में एक बार देखने को मिलता है. इस रेतीले तूफान की वजह से यहां की एयर क्वालिटी बहुत ज्यादा गिर गई है.

NERC की मौसम विज्ञानी क्लेयर राइडर के अनुसार हर वर्ष इस तरह का एक तूफ़ान सहारा के रेगिस्तान से उठता है. मगर समुद्र पार करने के दौरान बारिश के चलते ये ख़त्म भी हो जाता है.

अमेरिका तक कठिन से इसका 4% भाग ही पहुंच पाता है. मगर इस बार अफ्रीका में लगातार आए तूफानों से इस डस्ट स्ट्रोम को बहुत ज्यादा मदद मिली है. ये रेत का तूफ़ान 8 हज़ार किलोमीटर से भी ज्यादा का सफ़र तय कर चुका है.

कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते पूरी संसार जहां पहले से ही परेशान है. वहीं अब रेतीले तूफान की दस्तक ने मुसीबत को व बढ़ा दिया है.

दरअसल सहारा रेगिस्तान (Sahara Desert) से उड़कर आई रेत ने कई राष्ट्रों का आसमान ढक लिया है. इससे कैरेबियाई राष्ट्रों में सूरज (Sun Disappear) छिप गया है.

अब ये 8000 किलोमीटर दूर अमेरिका के प्यूर्तो रिको व सैन जुआन तक भी पहुंच गई है. रेत के तूफ़ान को ‘सहारन डस्ट’ (Saharan Dust) नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये रेतीला तूफान दूसरे राष्ट्रों में भी आफत बनकर आ सकता है.