इस देश ने बनाई कोरोना वैक्‍सीन, इंसानों पर ट्रायल करते ही हुआ…महज 30 दिनों के अंदर…

अमेरिका और बिट्रेन के शोधकर्ता ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना वायरस की जिस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, उसके शुरुआती निष्कर्ष बेहद अच्छे हैं।

 

शोधकर्ताओं ने छह बंदरों के एक समूह पर इस वैक्सीन को आज़माया और पाया कि ये काम कर रही है। इसके बाद इस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल हुआ है, जिसके नतीजे अभी तक उम्मीदों के मुताबिक आए हैं। अब इस वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर चल रहा है। साथ ही कुछ अन्य वैज्ञानिकों से आने वाले दिनों में इस वैक्सीन का रिव्यू करवाया जाएगा।

ब्रिटेन के दवा निर्माता AZN.L ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उसने ऑक्सफ़र्ड वैक्सीन ग्रुप और जेनर इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर कोरोना वायरस के टीके पर काम शुरू किया है।

शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ‘छह बंदरों को कोरोना वायरस की भारी डोज़ देने से पहले, उन्हें यह टीका लगाया गया था।

हमने पाया कि कुछ बंदरों के शरीर में इस टीके से 14 दिनों में एंटीबॉडी विकसित हो गईं और कुछ को 28 दिन लगे। शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद, इस वैक्सीन ने उन बंदरों के फ़ेफड़ों को नुक़सान से बचाया।’कोरोना को हराने के लिए दुनिया भर के मुल्कों में कई वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है।

लेकिन सबसे बड़ी उम्मीद बिट्रेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से बंधी है। बंदरों पर हुए सफल ट्रायल के बाद अब तक इंसानों पर जितने भी प्रयोग हुए हैं.

वो बेहद सफल रहे हैं। दुनिया के बेहतरीन साईंटिस्ट की टीम इस रिसर्च में लगी हुई है और वो यकीन दिला रहे हैं कि महज 30 दिनों के अंदर हमारा ट्रायल पूरा होगा।

वायरस को लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसन के एक प्रोफ़ेसर, डॉक्टर स्टीफ़न इवांस ने कहा कि ‘बंदरों पर शोध के बाद जो नतीजे आए हैं, वो निश्चित रूप से एक अच्छी ख़बर है। उन्होंने कहा, ‘यह ऑक्सफ़र्ड वैक्सीन के लिए एक बड़ी बाधा की तरह था, जिसे उन्होंने बहुत अच्छी तरह से पार कर लिया है।’

शरीर में ख़ुद की कॉपियां बनाने और बढ़ने से रोका। टीका विकसित करने की प्रक्रिया में उसका बंदरों पर सफल होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

लेकिन वैज्ञानिकों की जानकारी के अनुसार कई टीके जो लैब में बंदरों की रक्षा कर पाते हैं, वो अंतत: मनुष्यों की रक्षा करने में विफल रहते हैं। खास बात ये है कि इस पूरे ट्रायल के दौरान अभी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे हैं, जो बड़ी राहत की बात है