लद्दाख में हुई ये बड़ी घटना, चीनी सेना से…

लद्दाख में पैंगांग झील के फिंगर 4 और गलवान नदी के घाटी इलाके में भी भारतीय सेना को ऐसी ही परिस्थितियों से जूझना पड़ रहा है। पिछले कई सालों से भारतीय सैनिक इन इलाकों में सर्दी के कारण खाली छोड़ी गई सीमा चौकियों और इलाके पर समय पर नियंत्रण जमा लेते थे लेकिन इस बार उन्हें कोरोना ने मुसीबत में डाल दिया।

 

नतीजा सामने था। कई क्षेत्रों पर अपना अधिकार जमा उन्हें विवादित घोषित करने वाली चीनी सेना ने 5 हजार से अधिक जवानों, टैंकों, तोपखानों और अन्य बख्तरबंद वाहनों के साथ पैंगांग झील तथा गलवान नदी के उन इलाकों पर कब्जा जमा लिया जिन पर पहले भी कई बार दोनों सेनाओं के बीच मौखिक झड़पें तथा पत्थरबाजी हो चुकी थी।

अधिकारियों के मुताबिक, मार्च के शुरू में ही चीन सीमा से सटी सर्दियों में खाली छोड़ी गई सीमा चौकियों पर पुनः नियंत्रण जमाने की मुहिम भारतीय सेना आंरभ कर देती है।

लेकिन इस बार लेह स्थित 14वीं कोर ने कवायद में देरी कर दी थी। कारण स्पष्ट था। एक जवान कोरोना पॉजिटिव था तो करीब पूरी बटालियन को क्वारांटाइन कर देना पड़ा।

वायरस से डर के मारे अन्य बटालियनों की जांच का कार्य आरंभ किया गया तो चीन सीमा पर सैनिकों की रवानगी में हुई। देरी का लाभ चीनी सेना ने उठा लिया।

इसके तहत भयानक सर्दियों में दुर्गम क्षेत्रों में खाली छोड़ी गई सीमा चौकियों व इलाकों पर कब्जा न करने का समझौता होता है। वैसे ऐसा ही धोखा भारतीय सेना करगिल युद्ध के तौर पर 1999 में पाक सेना से खा चुकी है।

लद्दाख में चीन की सीमा पर चीनी आर्मी के घुसपैठ से एक बार फिर जूझ रही भारतीय सेना के लिए ऐसी परिस्थितियां इसलिए पैदा हुई हैं क्योंकि पाकिस्तानी सेना के बाद अब चीनी सेना भी उन मौखिक समझौतों की लाज नहीं रख रही है।