कोरोना वायरस के चलते शाहीन बाग में हुआ ये, लोगो ने बचने के लिए किया…

पिछले तीन माह से ये सभी लोग सीएए और नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का विरोध कर रहे हैं। कुछ रिपोर्ट्स में हालांकि यह दावा भी किया गया है कि पिछले कुछ समय में यहां पर प्रदर्शनकारियों की संख्‍या में कुछ गिरावट भी आई है।

 

12 दिसंबर को जब मोदी सरकार ने सीएए को मंजूरी दी थी, उस समय ही देशभर में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था।

इस एक्‍ट के तहत सरकार पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश, और अफगानिस्‍तान से आने वाले उन हिंदु, जैन, पारसी, क्रिश्चियन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों को नागरिकता देगी जिन्‍हें अपने देश में अल्‍पसंख्‍यक होने की वजह से अत्‍याचार झेलने को मजबूर होना पड़ा।

31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए लोगों को सरकार की तरफ से नागरिकता का प्रावधान किया गया है।पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप को देखते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का प्रदर्शन कर रहे शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मास्‍क और सैनिटाइजर्स की मांग की है।

ये प्रदर्शनकारी सीएए के खिलाफ 15 दिसंबर 2019 से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि प्रदर्शनस्‍थल पर स्‍क्रीनिंग की व्‍यवस्‍था की जाए।

अब तक देश में कोरोना वायरस के 80 से ज्‍यादा मामले सामने आए हैं और दो लोगों की मौत हो चुकी है। कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारी जल्‍द ही दिल्‍ली दंगे पर एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस करने वाले हैं।

इसी कॉन्‍फ्रेंस में वह कोविड-19 पर भी अपनी बात करेंगे। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि वायरस से बचने के लिए उन्‍हें मास्‍क और सैनिटाइजर उपलब्‍ध कराया जाए। शाहीन बाग में इस समय सैंकड़ों प्रदर्शनकारी बैठे हैं जिसमें सबसे ज्‍यादा संख्‍या महिलाओं की है।