साइनस की समस्या से परेशान लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं ये योगासन

साइनस के मरीजों की मौसम बदलने पर दिक्कत बढ़ जाती है। वहीं सर्दियों के मौसम में साइनस के मरीजों पर अधिक भारी पड़ जाता है। साइनस इन दिनों आम समस्या हो गई है, जिस में सूजन, सर्दी जुकाम, एलर्जी, नाक के भीतर पड़ने वाला फोड़ा, बलगम, सिर दर्द और आवाज में बदलाव जैसी स्थिति बन जाती है। इस बीमारी में दवाइयां लेने के बाद भी जल्दी साइनस की समस्या से राहत नहीं मिलती। ऐसे में साइनस के उपचार के लिए योगासन एक बेहतरीन विकल्प है। योगासन की सहायता से साइनस की बीमारी से राहत पाई जा सकती है। योग कई बीमारियों से बचाव, उसके इलाज और रोगों के जोखिम को कम करता है। अलग अलग तरह की समस्या के लिए कई तरह के योगाभ्यास को अपनाया जा सकता है। इसी तरह साइनस की समस्या से राहत के लिए कुछ योगासन लाभदायक हैं। चलिए जानते हैं साइनस के उपचार के लिए मददगार योगासन के बारे में।

पश्चिमोत्तानासन

साइनस की समस्या से राहत पाने के लिए पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास करें। इसके लिए सीधा बैठ जाएं और दोनों पैरों को फैलाकर एक सीध में एक दूसरे से सटाकर रखें। फिर दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और अपनी कमर बिलकुल सीधी रखें। झुक कर दोनों हाथों से पैरों के अंगूठे को पकड़ें। इस दौरान आपके घुटने मुड़े नहीं और पैर जमीन पर सटे रहें। इस आसन से सिर दर्द में भी आराम मिलता है।

हलासन

हलासन का अभ्यास करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को सीधा जमीन पर रखें। धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। अब पैरों को पीछे की ओर सीधे जमीन पर झुकाकर पंजों को जमीन से सटाकर रखें। अपना सिर सीधा रखें। इस स्थिति में दो से तीन मिनट तक रहें, बाद में सामान्य अवस्था में आ जाएं।

उत्तानासन

इस आसन को करने के लिए सीधा खड़े हो जाएं और लंबी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठा लें। फिर आगे की ओर झुके और दोनों हाथों से जमीन को छुएं। घुटने सीधे रखें। कुछ देर इसी पोजीशन में रहें, फिर हाथ ऊपर ले जाते हुए सांस छोड़ें और सामान्य अवस्था में खड़े हो जाएं।

पवनमुक्तासन

इस योगासन को करने के लिए पीठ के बदल लेट कर सांस लें। अब एक पैर के घुटने को मोड़ते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूरे में डालकर घुटने को पेट से सटा लें। सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर उठाएं और घुटने को नाक पर लगाएं। 10 सेकेंड तक सांस रोककर इसी अवस्था में रहें और बाद में पैरों को सीधा कर लें। दूसरे पैर के साथ भी यही प्रक्रिया करें।