मुहर्रम को लेकर उत्तर प्रदेश में जारी हुआ ये आदेश, ताजिया रखने…, नहीं तो…

राज्य सरकार के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद राजधानी में केवल सात इमामबाड़ों को पांच लोगों की उपस्थिति में 60 मिनट की ऑनलाइन मजलिस की अनुमति दी गई है।

 

मौलवी ने कहा, बातचीत के दौरान हमने मजलिस में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 1,000 लोगों की उपस्थिति की अनुमति मांग की थी। लेकिन सरकार ने केवल 20 लोगों की उपस्थित की अनुमति दी।

हम इसके लिए भी सहमत हो गए लेकिन गुरुवार देर रात भेजे गए आदेश में शहर के केवल सात इमामबाड़ों में पांच-पांच लोगों की अनुमति की बात कही गई।

मौलवी ने संवाददाताओं को बताया कि शियाओं और अजादारी करने वाले सभी लोगों में खासा गुस्सा है। अजादारी में इमाम हुसैन और उनके सहयोगियों की कर्बला में हुई शहादत पर दुख मनाया जाता है। वहीं मजलिस में देश भर के इमामवाड़ों में इसे लेकर प्रवचन दिए जाते हैं।

हालांकि सरकार ने हर जिले में शिया धर्मगुरुओं की उनके संपर्क नंबरों के साथ एक सूची मांगी है। ये मौलवी जिला नागरिक और पुलिस अधिकारियों से मिलकर मुहर्रम गतिविधियों का समन्वय करेंगे। मुहर्रम के दौरान मिलने वाली शिकायतों से निपटने के लिए एक सचिव रैंक के अधिकारी को भी नियुक्त किया गया है।

मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जव्वाद ने भाजपा सरकार पर मोहर्रम की मजलिस को लेकर हुई बात से मुकरने का आरोप लगाया है।

कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंधों के विरोध में जव्वाद ने शनिवार शाम को धरना दिया था। इसके बाद आधी रात को राज्य सरकार का यह फैसला आया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुहर्रम को लेकर शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की मांगों को स्वीकार करते हुए कुछ प्रतिबंधों के साथ लोगों को अपने घरों में ताजिया रखने और मुहर्रम के दौरान अजादारी का पालन करने की अनुमति दे दी है।