उत्तराखंड के नए सीएम बनेंगे ये नेता, आज शाम 4 बजे लेंगे शपथ

रमेश पोखरियाल निशंक वर्ष 1991 में पहली बार कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. 1997 में उन्हें उत्तरांचल विकास मंत्री बनाया गया. वर्ष 2009 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने रमेश पोखरियाल निशंक साल 1991 से 2012 तक 5 बार विधायक रह चुके हैं.

 

राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर शिरकत करने वाले निशंक का जन्म 15 अगस्त 1958 को गढ़वाल में हुआ था. वर्तमान में वे हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के सांसद हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में वे केंद्रीय शिक्षा मंत्री का दायित्व निभा रहे हैं.

त्रिवेंद्र रावत ने मंगलवार को राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. इसके बाद प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि नए मुख्यमंत्री का नाम बुधवार की सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक में जाहिर किया जाएगा.

रावत के इस्तीफा देने के बाद कई नेताओं के नाम मुख्यमंत्री की रेस में सामने आ रहे थे. इनमें अजय भट्ट, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, धन सिंह रावत सतपाल महाराज के नाम सामने आ रहे हैं.

हालांकि इनमें से कौन मुख्यमंत्री बनेगा, इसका पता कुछ देर के बाद ही चलेगा. बताया जा रहा है कि रमेश पोखरियाल निशंक के केंद्रीय मंत्री के अनुभव के चलते उन्हें मुख्यमंत्री दायित्व दिया जा सकता है.

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चल रही रस्साकशी के बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कयासों का दौर जारी है. अभी तक 4 – 5 नेताओं के नाम सामने आ रहे थे.

अब इसमें रमेश पोखरियाल निशंक का नाम तेजी से सामने आया है. सूत्रों का कहना है कि उन्हें उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. इसका फैसला बीजेपी की विधायक दल में बैठक में हो सकता है. विधायक दल की बैठक में ही साफ होगा कि शीर्ष नेतृत्व किसके नाम पर मुहर लगाता है.

तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री होंगे। रावत आज शाम 4 बजे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे। बता दें त्रिवेंद्र सिंह ने कल राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। बीजेपी के कई विधायकों और कुछ मंत्रियों की नाराजगी की वजह से उन्हें बीते दिनों दिल्ली तलब किया गया था। आज सुबह विधायक दल की बैठक के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद के लिए विधायक दल का नेता चुना गया है। तीरथ सिंह रावत के पास करीब 1 साल का समय है जिसमें उन्हें ना केवल त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद भाजपा की बिगड़ी छवि को सुधारने की जिम्मेदारी होगी बल्कि 2022 के चुनाव में पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने की भी अहम जिम्मेदारी होगी।

बीते सप्ताह शनिवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को देहरादून विधानसभा सत्र की चर्चा करने के बाद पहले से बिना किसी निर्धारित तारीख से इतर कोर कमेटी की बैठक आयोजित करने के लिए भेजा गया था। दरअसल, राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव है और पार्टी के भीतर उठते असंतोष को देखते हुए पार्टी के आलाकमानों को ये कदम उठाना पड़ा है। ऐसा देखा जा रहा था कि यदि त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में आगामी चुनाव लड़े जाते हैं तो भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इस्तीफा देने के बाद रावत ने कहा, पार्टी ने मुझे चार साल तक इस राज्य की सेवा करने का सुनहरा अवसर दिया है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ऐसा मौका मिलेगा। पार्टी ने अब फैसला किया है कि सीएम के रूप में सेवा करने का अवसर किसी और को दिया जाना चाहिए। आगे रावत ने जानकारी दी कि भाजपा विधायक दल की बैठक कल सुबह 10 बजे पार्टी कार्यालय पर होनी है।