चीन के खिलाफ हुए ये देश , एक साथ मिलकर दागी मिसाइल

कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन की जितनी और जैसी आलोचना हुई, उसे एक बड़ा कारण माना गया है. जिन 14 देशों में सर्वे किया गया, वहां औसतन 61% लोगों ने माना कि चीन ने कोविड 19 मोर्चे पर भूमिका खराब ढंग से निभाई.

 

दिलचस्प बात यह रही कि इन लोगों ने चीन के साथ ही, माना कि उनके अपने देश भी इस मोर्चे पर नाकाम रहे. अमेरिका में तो 84% लोगों ने माना कि अमेरिका ने ठीक से कदम नहीं उठाए, यानी चीन की तुलना में अमेरिका को ही ज़्यादा नकारात्मक माना.

स्वीडन, नीदरलैंड्स और जर्मनी में पिछले साल क तुलना में चीन के खिलाफ नकारात्मक नज़रिया 15% बढ़ गया है. इसी तरह, दक्षिण कोरिया में 12, स्पेन में 10, फ्रांस में 8 और कनाडा में 6 फीसदी नकारात्मकता बढ़ी देखी गई. इटली और जापान में भी नकारात्मकता बढ़ी है, लेकिन पिछले साल की तुलना में बहुत कम प्रतिशत में.

ऑस्ट्रेलिया में चीन के खिलाफ सबसे ज़्यादा नकारात्मक माहौल देखा गया. सर्वे में शामिल ऑस्ट्रेलियाई लोगों में से 81% ने चीन के लिए नकारात्मक वोट दिए.

यह पिछले साल से 24% ज़्यादा रहा. इसी तरह, यूके में पिछले साल की तुलना में चीन के लिए नकारात्मक नज़रिया करीब 19 पॉइंट बढ़ गया. अमेरिका में पिछले साल की अपेक्षा 13 पॉइंट और जबसे डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, तबसे चीन के प्रति नफरत करीब 20% बढ़ चुकी है.

चीन के खिलाफ माहौल (Anti-China Sentiment) किस तरह और किस कदर बन चुका है, क्या आपको इसका अंदाज़ा है? अमेरिका और यूरोप (US & Europe) समेत बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में चीन के लिए निगेटिव भावनाएं (Negative Views for China) पिछले एक दशक में इस बार चरम पर पहुंच चुकी हैं.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के नेतृत्व की बात हो या फिर चीन की नीयत की, कोरोना वायरस (Corona Virus) के मामले में चीन की भूमिका का मुद्दा हो या विश्व की आर्थिक शक्ति (Economy Power) से जुड़ी बहस, चीन को लेकर दुनिया के संपन्न देशों की धारणा बद से बदतर हुई है.

दुनिया के 14 अग्रणी देशों में की गई हालिया रिसर्च के आधार पर प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी देशों ने चीन को लेकर नकारात्मक रुझान दिखाए.

ऑस्ट्रेलिया, यूके, जर्मनी, नीदरलैंड्स, स्वीडन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, स्पेन और कनाडा में तो ये चीन के खिलाफ नफरत पिछले दस सालों में सबसे ज़्यादा देखी गई. इस रिसर्च पर आधारित आंकड़ों पर विश्लेषणों को समझना ज़रूरी हो जाता है.