पहलवान सुशील कुमार के साथ हो सकता ऐसा, जेल में बंद…

कोर्ट ने सुशील के वकील प्रदीप राणा, कुमार वैभव और सत्विक मिश्रा से कहा कि सुशील ने यह नहीं बताया कि वे आगामी किन प्रतियोगिताओं में शामिल होने जा रहे हैं या क्वालीफाई कर चुके हैं।

मेडिकल रिपोर्ट में भी वे स्वस्थ्य हैं। इन सवालों के सुशील कुमार के वकील कोई जवाब नहीं दे सके। उधर, अतिरिक्त लोक अभियोजक श्रवण कुमार बिश्नोई ने सुशील कुमार की मांग का विरोध किया था। उन्होंने कहा है कि ऐसा करना दूसरे कैदियों के साथ भेदभाव होगा।

रोहिणी की अदालत में दाखिल आवेदन पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। इसमें सुशील कुमार के वकील ने उन्हें जेल के अंदर स्पेशल फूड, सप्लीमेंट्स और एक्सरसाइज से जुड़े साजो-सामान उपलब्ध कराने का निवेदन किया था।

इसमें कहा गया था कि सुशील कुमार को अपनी सेहत और करियर को देखते हुए ये चीजें जरूरी हैं। इस पर मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लांबा ने साफ शब्दों में कहा कि ये सब चीजें आरोपी की केवल इच्छाएं हैं।

ये कोई जरूरी चीजें नहीं हैं। दिल्ली जेल कानून, 2018 के तहत आरोपियों की जरूरतों का जेलों में पूरा ख्याल रखा जाता है। कानून की नजर में सब बराबर हैं। चाहें वो किसी भी जाति, धर्म, लिंग या वर्ग से क्यों न हो। कोर्ट ने संविधान में समानता के अधिकार का हवाला भी दिया।

कुछ दिन पहले तक अंतरराष्ट्रीय पहलवान सुशील कुमार को देश सिर-आंखों पर बैठाए रहता था, आज उनकी कोई पूछ-परख नहीं हो रही। एक साथी युवा पहलवान की हत्या के इल्जाम में दिल्ली की मंडोली जेल में बंद सुशील कुमार की एक ख्वाहिश पर बुधवार को पानी फिर गया।

सुशील कुमार ने कोर्ट में याचिका लगवाई थी कि वे पहलवान है, इसलिए उन्हें स्पेशल फूड और सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ती है। इस मामले में कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में दो टूक कहा कि ये चीजें इंसान की आवश्यक जरूरतें नहीं होतीं।