दुनिया के वैज्ञानिकों को सता रहा ये डर, बताया पृथ्‍वी के करीब…

वैज्ञानिकों को सिर्फ एक ही डर सता रहा है कि अगर यह अलका पिंड अपना थोड़ा सा भी स्थान परिवर्तन करता है, तो पृथ्वी पर बड़ा संकट आ सकता है।

 

ऐसे में भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस अउल्‍कापिंड की दिशा पर गहरी नजर रखे हुए हैं।नासा के वैज्ञानिकों ने बताया है कि नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज के अनुसार 29 अप्रैल, बुधवार को सुबह 5:56 बजे ईस्टर्न टाइम में उल्‍कापिंड के पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा।

इसे लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह उल्‍कापिंड पृथ्वी पर वैश्विक प्रभाव पैदा करने के लिए पर्याप्त बड़ा है लेकिन लोगों को इससे अभी घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि इस उल्‍कापिंड का नाम 1998 OR2 है और यह बुधवार यानी कल धरती के बेहद करीब से गुजरने वाला है। ऐसे में इसके धरती के पास से गुजरने में केवल 24 से भी कम घंटों का समय रह गया है।

उल्‍कापिंड को लेकर अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के उल्‍कापिंड की हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं रहती है, लेकिन ऐसा बहुत कम बार हुआ है कि इतना बड़ा उल्‍कापिंड धरती से टकराया हो।

वहीं अगर कुछ मीटर व्यास के उल्‍कापिंड जैसे ही धरती के वायुमंडल में आते हैं तो जल जाते हैं, इसके कुछ छोटे-छोटे टुकड़े ही धरती की सतह पर पहुंचते हैं जिनसे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता।

दुनिया भर में एक ओर जहां कोरोना वायरस  तबाही मचा रहा है,वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि एक उल्‍कापिंड 29 अप्रैल को पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार इस उल्कापिंड की गति 19000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस उल्‍कापिंड के धरती से टकराने की संभावना बेहद कम है।