झोलाछाप के इलाज ने मजदूर के परिवार को कर दिया तबाह

झोलाछाप के इलाज ने एक मजदूर के परिवार को तबाह कर दिया। यूपी के अमरोहा जिले के चौधरपुर गांव में चार साल पहले इस मजदूर ने पत्नी के प्रसव के लिए झोलाछाप पर भरोसा किया था। प्रसव से दो दिन पहले झोलाछाप ने महिला को संक्रमित खून चढ़ा दिया। ऑपरेशन के दौरान उसके पेट में रुई भी छोड़ दी। इससे उसे दोबारा आपरेशन कराना पड़ा, बमुश्किल जान बची। बाद में पता चला कि उसे एचआइवी हो गया है। तब से जिंदगी नर्क बन गई है।

डिडौली थानाक्षेत्र में रहने वाला एक मजदूर परिवार पिछले चार वर्षों से मौत के साये में जी रहा है। चार वर्ष पूर्व जब मजदूर की पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो वह गलती से चौधरपुर स्थित एक झोलाछाप के क्लीनिक में भर्ती करा दिया। वहां उसे संक्रमित खून चढ़ा दिया गया। इसके दो दिन बाद झोलाछाप पति-पत्नी ने ही उसका आपरेशन कर दिया। बेटी ने जन्म लिया। 22 हजार रुपये लेने के बावजूद अस्पताल से उन्हें एक भी पर्चा नहीं दिया गया। घर पहुंचने पर पत्नी का असह्य पेट दर्द शुरू हो गया। दोबारा झोलाछाप के यहां पहुंचे ताे उसने इलाज से मना कर दिया।

इसके बाद अमरोहा के एक नर्सिंग होम में दोबारा आपरेशन हुआ। तब पता चला कि पेट के अंदर रुई छूट गई थी। आपरेशन से किसी तरह जान बची। दो साल बाद पत्नी दोबारा गर्भवती हुई तो खून की जांच में पता चला कि वह एचआइवी संक्रमित हो गई है। इससे परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। आननफानन में बेटी व पति का खून जांचा गया। बेटी भी एचआइवी ग्रस्त मिली। इसके बाद से यह परिवार खौफ में जी रहा है। सीएचसी पर इलाज चल रहा है। शर्म व संकोच के कारण उस समय कहीं शिकायत नहीं की। अब स्थिति बिगड़ने पर पीड़िता के पति ने सीएमओ से मिलकर आपबीती सुनाई। इस पर सीएमओ ने प्रकरण की जांच शुरू करा दी है।