चीन को सबक सिखाने के लिए भारत के साथ हुए ये तीन देश, मिसाइल दाग कर दिखाई ताकत

भारत और अमेरिकी नौसेना के बीच इस अभ्यास की शुरुआत साल 1992 में हुई थी. साल 1998 तक दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच तीन दफे यह युद्धाभ्यास हुआ था.

 

पहली बार यह युद्धाभ्यास केरल के मालाबार में हुई थी. साल 2007 में भी ऑस्ट्रेलिया इस युद्धाभ्यास में शामिल होने वाला था, लेकिन तब चीन की आपत्ति के बाद उसने मना कर दिया था.

जबकि अमेरिकी नौसेना की ओर से मिसाइल डिस्ट्रायर शिप जॉन-एस-मैक्केन ने बंगाल की खाड़ी में अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई. ऑस्ट्रेलियन नेवी का लंबी रेंज का वॉरशिप बैलारात और एमएच-60 हेलीकॉप्टर्स ने मालाबार एक्सरसाइज में अपने हुनर दिखाए और जापान मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस ने भी शक्ति प्रदर्शन किया.

पिछले 13 साल में यह पहली बार था, जब इन चार देशों की नौसेनाएं किसी नौसैनिक अभ्यास में एक साथ हिस्सा ले रही थीं. मालाबार एक्सरसाइज के पहले फेज में इंडियन नेवी के डिस्ट्रॉयर रणविजय, वॉरशिप शिवालिक, ऑफशोर पेट्रोल शिप सुकन्या, फ्लीट सपोर्ट शिप आईएनएस शक्ति और सबमरीन सिंधुराज ने हिस्सा लिया.

कोरोना वायरस की महामारी के कारण लागू कोविड-19 प्रोटोकॉल्स को देखते हुए ‘नॉन-कॉन्टेक्ट-एट-सी’ फॉर्मेट में पूरी एक्सरसाइज हुई. यानी चारों देशों की नौसेनाओं ने दूर से ही अपने-अपने जौहर दिखाए. चार दिन की एक्सरसाइज के दौरान बंगाल की खाड़ी में चारों देशों के जंगी बेड़ों ने युद्ध की परिस्थितियां बनाकर अभ्यास किया.

अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाजों ने भी अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया. ऐसे वक्त में जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन अपनी विस्तारवादी नीति को विस्तार दे रहा है, तब चार शक्तिशाली लोकतांत्रिक देशों की नौसेनाओं का एक साथ आकर युद्धाभ्यास करना, चीन को सीधी चेतावनी है. गौरतलब है कि इस युद्धाभ्यास की शुरुआत 3 नवंबर को हुई थी.

भारतीय नौसेना ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नौसैनिकों के साथ युद्धाभ्यास किया. बंगाल की खाड़ी में मालाबार नेवल एक्सरसाइज का पहला चरण संपन्न हो गया है.

इस युद्धाभ्यास का दूसरा चरण इसी महीने अरब सागर में होना है. इसे चीन के लिए चेतावनी माना जा रहा है. पहले चरण की एक्सरसाइज में भारतीय नौसेना के पांच युद्धपोत, एक सबमरीन ने हिस्सा लिया.