तालिबान की चीन से दोस्ती , जाने अब क्या करेगा पाकिस्तान

अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के सहयोगी ISIS-खोरासन ने चीन के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने को लेकर तालिबान की खिंचाई की है। इसके लिए शिंजियांग में उइगर मुसलमानों के साथ हुई ज्यादती का हवाला दिया है।

‘वॉयस ऑफ खुरासान’ नाम की प्रोपेगेंडा मैगजीन में ISIS-K ने तालिबान के सदस्यों की ISI प्रमुख के साथ प्रार्थना करते हुए फोटो भी शेयर की है। इसमें बताया गया कि तालिबान के कई ट्रेनिंग कैंप और धार्मिक स्कूल पाकिस्तान में स्थित हैं।

आतंकवादी संगठन ने तालिबान की ओर से चीन, ईरान और रूस के साथ कई बैठकों और यात्राओं पर आपत्ति जताई है, उन्हें “इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन” कहा है। हालांकि, तालिबान उइगर मुसलमानों के हुई ज्यादती को चीन का आंतरिक मामला मानता है। रूस और ईरान की ओर से की गई सामूहिक हत्याओं को भी उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर बताता है।

आतंकी समूह अंतरराष्ट्रीय मान्यता के तालिबान के प्रयास का समर्थन नहीं करता है। ISIS-K का कहना है कि वे अपनी जरूरतों के लिए राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं। इसने तालिबान की बहिष्कारवादी नीतियों पर भी सवाल उठाया है और कहा है कि समूह के “चरम राष्ट्रवादी और आदिवासीवाद” का “इस्लामी व्यवस्था” से कोई लेना-देना नहीं है।