इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ राजस्थान विधानसभ में हंगामा भी देखने को मिला. सदन में जब विरोध प्रस्ताव रखा गया तो वेल में आकर बीजेपी नेताओं ने अपना विरोध जताया.
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास करते समय बीजेपी नेताओं ने क़ानून के समर्थन में भी नारेबाज़ी की.
राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया था कि वो 25 जनवरी को सदन में मौजूद रहें. वहीं, बीजेपी ने भी इसके विरोध की पूरी तैयारी की थी.
विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने विधानसभा का सत्र बुलाने की आलोचना की थी. उनका कहना था कि बजट सत्र को बुलाने के लिए 21 दिनों पहले नोटिस दिया जाना चाहिए था.
कटारिया ने कहा था कि यह विधानसभा का मज़ाक बनाने वाला है.
इससे पहले 17 जनवरी को पंजाब विधानसभा ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया था. पंजाब से पहले केरल ने इस क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया था.
दो दिन के विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन पंजाब सरकार के मंत्री ब्रह्म मोहिन्द्र ने इस क़ानून के विरोध में प्रस्ताव पेश किया था.
उन्होंने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, “इस क़ानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में लोग सड़कों पर हैं.”
विधानसभा में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सरकार भेदभाव करने वाले क़ानून को राज्य में लागू नहीं कर सकती.
केरल और पंजाब के बाद अब राजस्थान तीसरा ऐसा राज्य बन गया है जिसकी विधानसभा में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया गया है.