भारतीय वायु सेना की ताकत में होगा इजाफा, अगले हफ्ते होगा ऐसा…

राफेल विमानों की पहली खेप पिछले साल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आई थी. भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए साल 2015 में अंतर-सरकारी करार पर हस्ताक्षर किए थे. पिछले साल 10 सितंबर को अंबाला में हुए एक प्रोग्राम में राफेल लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया था.

तीन विमानों की दूसरी खेप तीन नवंबर को भारत आई थी जबकि तीन और विमानों की तीसरी खेप 27 जनवरी को यहां पहुंची थी. जानकारी के मुताबिक राफेल विमान के दूसरे स्क्वॉड्रन को इस साल अप्रैल के मध्य में हाशिमारा में अगले मुख्य संचालन अड्डे पर मुस्तैद किया जाएगा.

IAF के अंबाला स्थित गोल्डन एरो स्क्वाड्रन ने जुलाई 2020 और जनवरी 2021 के बीच 11 राफेल जेट्स को पहले ही वायु सेना में शामिल कर लिया है. इन लड़ाकू जेट विमानों को लद्दाख थिएटर में संचालित किया गया है, जहां मई 2020 की शुरुआत से ही चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद सेना हाई अलर्ट पर है.

डसॉल्ट एविएशन ने फ्रांस में ट्रेनिंग के लिए सात और लड़ाकू विमानों को IAF को पहले ही सौंप दिया है और इस साल के अंत तक 36 विमानों की डिलीवरी फ्रांस को पूरी करनी है. इसलिए अप्रैल के बाद बचे 6 राफेल जेट की डिलिवरी की जाएगी.

फ्रांसीसी और भारतीय राजनयिकों के मुताबिक, IAF की एक टीम तीन राफेल को अंबाला तक पहुंचाने की तारीख को अंतिम रूप देने के लिए पहले ही बोर्डिएक्स के मेरिग्नैक एयरबेस पहुंच चुकी है.

भारत ने फ्रांस को गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के तहत 36 लड़ाकू विमानों का सितंबर 2016 में ऑर्डर दिया था. इसकी कुल कीमत 59 हजार करोड़ रुपये थी.

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) की ताकत में और अधिक इजाफा होने वाला है, क्योंकि राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jet) की तीन और खेप अगले हफ्ते की शुरुआत तक अंबाला (Ambala) में लैंड कर जाएगी.

इतना ही नहीं इसके अलावा 9 और लड़ाकू विमान अप्रैल के मध्य तक फ्रांस से भारत पहुंचेंगे. वहीं उत्तर बंगाल में हाशिमारा फॉरवर्ड बेस अगले महीने पांच लड़ाकू विमानों के साथ अपना ऑपरेशन शुरु करेगा.