नेपाल के प्रधानमंत्री का बड़ा बयान , कहा – भारत के साथ ‘गलतफहमी’ को…

नेपाल द्वारा प्रकाशित किए गए नए राजनीतिक नक्शे में तीन भारतीय क्षेत्रों- लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख- को नेपाल का हिस्सा दिखाए जाने के बाद भारत और नेपाल के संबंधों में काफी तनाव आ गया था। नेपाल द्वारा नक्शा जारी किये जाने के बाद भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ‘एकपक्षीय कार्रवाई’ करार दिया था और काठमांडू को चेताया था कि क्षेत्र के ‘कृत्रिम विस्तार’ के दावों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग करने और नए चुनावों की घोषणा के ‘असंवैधानिक’ कदम के खिलाफ नेपाल के विरोधी गठबंधन ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।

ओली ने कहा कि नेपाल का भारत के साथ विशिष्ट रिश्ता है जैसा किसी और देश के साथ नहीं है। उन्होंने पूछा, ‘पड़ोसी प्यार और समस्याएं दोनों साझा करते हैं। क्या चिली और अर्जेंटीना में लोगों के बीच समस्याएं नहीं हैं?’

ओली ने टीवी पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में पिछले महीने कहा था कि भारत के साथ सीमा से जुड़े लंबित मुद्दों को ऐतिहासिक समझौतों, नक्शों और तथ्यात्मक दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतिक माध्यमों के जरिये निपटाया जाएगा।

उन्होंने बीबीसी को बताया, ‘हां, एक समय गलतफहमी थी, लेकिन अब वो गलतफहमी दूर हो गई हैं। हमें पूर्व की गलतफहमियों में नहीं फंसे रहना चाहिए बल्कि भविष्य को देखते हुए आगे बढ़ना चाहिए। फिलहाल अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे, नेपाल के 69 वर्षीय प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें सकारात्मक संबंध बनाने होंगे।’

सात जून नेपाल के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने कहा कि भारत के साथ ‘गलतफहमी’ दूर कर ली गई है और पड़ोसियों के प्यार और समस्याएं दोनों साझा करने का जिक्र करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि दोनों देशों को भविष्य की तरफ देखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

बीबीसी की हिंदी सेवा को दिए एक हालिया साक्षात्कार में ओली ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि एक बार दोनों पड़ोसियों में गलतफहमी हो गई थी। उन्होंने हालांकि इस बारे में और विवरण नहीं दिया।