अखिलेश यादव का बड़ा बयान , कहा – किसानों के ऊपर पड़ रही…

भाजपा के अंधेर राज में किसान की बदहाली और भाजपा के प्रश्रय प्राप्त बिचौलियों की खुशहाली ही वांछित है. पहले धान की लूट हो ही चुकी है. गन्ना किसानों की कोई सुनने वाला नहीं है. उनके गन्ने का 15,000 करोड़ बकाये का भुगतान अभी भी लटका हुआ है.

देरी में भुगतान का ब्याज तो कभी मिलने वाला है नहीं. भले ही गेहूं का एमएसपी 1975 रूपये प्रति कुंतल घोषित है लेकिन किसानों को 1500 रूपये प्रति कुंतल मिलने के लाले पड़े हुए हैं.

अखिलेश ने कहा कि किसान इतना बेबस कभी नहीं हुआ जितना भाजपा राज में है. भाजपा की प्राथमिकता में किसान दूर-दूर तक नहीं कभी नहीं रहा. किसान का शोषण नहीं रुका तो वह इसका जवाब अवश्य देंगे. इस बार किसानों की मार से भाजपा बच नहीं सकती.

राजधानी लखनऊ सहित तमाम जनपदों से गेहूं खरीद में भारी अनिमितताओं की सूचनाएं मिली है. किसान क्रय केन्द्रों पर गेहूं के लिए धक्के खा रहे हैं. केन्द्रीय मंत्री को भी यह कहने के लिए विवश होना पड़ा कि गेहूं की सरकारी खरीद में घोर लापरवाही है और क्रय केन्द्र बंद होने की आम शिकायतें हैं.

भाजपा सरकार जान-बूझकर किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं देना चाहती है. गेहूं खरीद में भी ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर दी गई है. गांवों के किसान को परेशानी में फंसाये रखने की यह भाजपाई साजिश का हिस्सा है.

रजिस्ट्रेशन के बाद गेहूं का सैंपल पास कराना होता है, तब भी क्रय केन्द्रों में धांधली के कारण एमएसपी पर बिक्री नहीं होती है. धान की फसल के बेहन के लिये प्रदेश में बीज का अभाव बना हुआ है.

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा है कि भाजपा सरकार ने तय कर लिया है कि वह असत्य के सिवा कुछ नहीं बोलेगी और अपने पूरे कार्यकाल में छल-कपट की राजनीति के अलावा कुछ नहीं करेगी.

अखिलेश ने कहा कि मंहगाई की मार से जनजीवन पूरी तरह से तबाह है. डीजल-पेट्रोल की दरों में लगातार वृद्धि हो रही है. विद्युत महंगी करने पर भाजपा सरकार आमादा है. किसान घोर मुश्किल में फंसा है.

किसानों के ऊपर तिहरी मार पड़ रही है. किसानों पर कोरोना का कहर टूट पड़ा है. हाईकोर्ट को कहना पड़ा कि गांवों में चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे है. मंहगाई के कारण खेती के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो गई है तथा उसकी फसल की लूट रुक नहीं रही है.