एक साल के बेटे को आखरी बार नहीं देख सकी इस मजबूर पिता की आँखे, जानिए इस तस्वीर की हकीकत

कोरोना वायरस संक्रमण को काबू करने के लिए देश में लागू लॉकडाउन के कारण पैदा हुए प्रवासी संकट को दर्शाती इस तस्वीर को देश के हजारों लोग पहचानते हैं.

बेतहाशा रोता नजर आ रहा प्रवासी श्रमिक रामपुकार भले ही अपने मूल राज्य बिहार पहुंच गया है लेकिन वह अभी तक अपने परिवार से मिल नहीं पाया है

उसने कहा, ”मेरा बेटा जो एक साल का भी नहीं हुआ था, उसकी मौत हो गई और मेरे सीने पर मानो कोई पहाड़ गिर गया. मैंने पुलिस अधिकारियों से मुझे घर जाने देने की गुहार लगाई लेकिन किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की.” रामपुकार ने कहा, ”एक पुलिसकर्मी ने तो यह तक कह दिया, ‘क्या तुम्हारे घर लौटने से, तुम्हारा बेटा जिंदा हो जाएगा.

लॉकडाउन लागू है, तुम नहीं जा सकते’. मुझे उनसे यह जवाब मिला.” उसने बताया कि दिल्ली की एक महिला और एक फोटोग्राफर ने उसकी मदद की. वह फोटो पत्रकार अतुल यादव का नाम नहीं जानता.

देश में जब प्रवासी मजदूरों के समक्ष अस्तित्व का संकट गहराता जा रहा है तो वहीं मीडिया में रामपुकार की यह तस्वीर खूब साझा की जा रही है. लेकिन तमाम सुर्खियों के बावजूद वह अपने परिवार से अभी तक मिल नहीं पाया है