कोरोना संकट के बीच पाकिस्तान में हुआ ये, लोगो की हालत हुई बद्तर

पिछले वित्त वर्ष के दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और उम्मीद की जा रही थी कि यह रफ्तार बरकरार रहेगी. डॉ. अब्दुल हफीज शेख की अध्यक्षता में हुई बैठक में विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक, अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

 

बैठक ने राष्ट्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वैश्विक महामारी के प्रभाव के कारण आर्थिक मोर्चे पर देश के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई.

वहीं वित्त मंत्रालय ने कहा कि कोरोना के प्रभाव की वजह से कोई भविष्यवाणी करना समय से पहले होगा, लेकिन अगर संकट जारी रहा, तो विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के साथ-साथ निर्यात क्षेत्र 2020 तक बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है. हालांकि इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि पाकिस्तान की कृषि वृद्धि जारी रहने की संभावना नजर आ रही है.

बैठक में भाग लेने वालों ने कहा कि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जबकि आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध और व्यवसायों को बंद करने से भी गरीबी पर प्रभाव पड़ेगा.

बैठक में बताया गया कि कोरोना के संकट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तेजी से प्रभावित किया है, जो 3 फीसदी तक कम हो सकती हैपाकिस्‍तान (Pakistan) में कोरोना वायरस (Corona virus) के प्रभाव की वजह से हो रहे आर्थिक नुकसान का जायजा लिया जाए तो देश इतिहास में अब तक की सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहा है, जिसके कारण राजकोषीय घाटा 9.6 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं अगर संकट जारी रहा, तो विनिर्माण और सेवा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है.

विभिन्न उधारदाताओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद वित्त सलाहकार डॉ. अब्दुल हफीज शेख ने कहा कि देश इस समय सबसे खराब स्थिति में है. ऐसे में विकास दर सकल घरेलू उत्पाद के 1.57 फीसदी पर नकारात्मक रह सकती है, जबकि देश में गरीबी की स्थिति और भी बदतर होने की आशंका है.