वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा, कहा 18 प्रतिशत ख़त्म हो जाएगी…

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा मेगाफौना (बड़े या विशाल जानवर) को है. जहां साल 2120 तक समुद्र की सबसे बड़ी प्रजाति का 18 प्रतिशत हिस्सा हमेशा के लिए विलुप्त हो सकता है.

 

समुद्री मेगाफौना के बड़े समुद्री जीवों पर इसका प्रतिकूल असर हो सकता है. जिसमें शार्क, व्हेल, ध्रुवीय भालू, समुद्री कछुए और सम्राट पेंगुइन शामिल हैं.

मेगाफौना शब्द लैटिन के ‘बड़े’ और ‘जानवरों’ शब्दों से लिया गया है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के संदर्भ में, यह उन जानवरों को दिखाता है जो लगभग 46,000 साल पहले सामूहिक रूप से विलुप्त हो गए थे.

डेली न्यूज के मुताबिक, ये समुद्री जानवर समुद्री इकोसिस्टम को संतुलित बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. ये बड़े जानवर छोटे जीवों को खाकर वेस्ट के जरिए पोषक तत्वों को वातावरण में वापस पहुंचाते हैं.

बताया जा रहा है कि इन्हें समुद्री जीवों में सबसे बड़े जानवर के तौर पर जाना जाता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन समुद्री जीवों को लगातार हो रही मानव गतिविधि और जलवायु परिवर्तन से नुकसान पहुंच रहा है. जिसके बाद से समुद्री मेगाफौना खतरे में है. इनके विलुप्त होने से समुद्री इकोसिस्टम पर बुरा असर पड़ेगा.

स्वानसी विश्वविद्यालय के सह-लेखक डॉक्टर जॉन ग्रिफिन ने अपने अध्ययन में पाया कि अगर हम इन प्रजातियों को खो देते हैं, तो हम वातावरण के विशेष इकोलॉजिकल फंक्शन का संतुलन खो देंगे.

उनका कहना है, ‘यह एक चेतावनी है कि हमें जलवायु परिवर्तन सहित समुद्री मेगाफौना पर बढ़ते मानव हस्तक्षेप को कम करना होगा.

जो अभी के समय में बेहद जरूरी है. यही नहीं समुद्री वातावरण को बचाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होंगे नहीं तो ये सीधे तौर से मनुष्य को भी प्रभावित करेगा.

लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम पूरी दुनिया में देखने को मिल रहे हैं. यही नहीं इसकी वजह से वायुमडंल का सुरक्षा कवच कही जाने वाले ओजोन परत को भी नुकसान पहुंच रहा है.

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मानव गतिविधि और जलवायु परिवर्तन के चलते 100 साल के अंदर पांच में से एक बड़ी समुद्री प्रजाती विलुप्त हो सकती है जिसमें व्हेल, शार्क और ध्रुवीय भालू जैसे समुद्री जीव शामिल हैं.